Sunday, December 30, 2018

ममता, मायावती, अखिलेश, केसी राव, बीजू पटनायक बने रथ के अवरोधक, राहुल के लिए बवाल

 2019 कांग्रेस के प्रधान के लिए सियासी गणित में कितना शुभकारी होगा ये आकलन तो ज्योषिती लगाएंगे किन्तु राहुल गांधी को पीएम के चेहरे के रुप में क्या सभी विपक्षी दल स्वीकृति देंगे इस सवाल छिड़ने लगे हैं। राजनीतिक हल्कों में कहा जा रहा है कि राहुल के अश्वमेघ रथ के सामने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, यूपी की पूर्व सीएम मायावती, अखिलेश यादव बीजू पटनायक और केसी राव अवरोधक बन कर खड़े हैं। इनके प्रयासों से तैयार हो रही फेडरेल फ्रंट की जमीन में यदि भूकम्प आया तो 200 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर तिकोनी लड़ाई होगी।

इसपर भाजपा लाभ की उम्मीदे जता रही हैं। चर्चा गर्म है कि नववर्ष की शुरुआत के साथ ही लोकसभा चुनावों की बिसात बिछाने के लिए पक्ष व विपक्ष के सियासदान दावपेंच आजमाएंगे। भाजपा की राष्ट्रीय परिषद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बखान के साथ एक बार फिर मोदी सरकार के नारे पर मुहर लगेगी। भाजपा दो दिवसीय बैठक में मिशन 2019 की रणनीति पर भी मंथन होगा। भाजपा जहां राजग को संवारने की तैयारी में जुटेगी वहां राजग में सेंध लगाने की जुगत में विपक्षी दल कोई कसर बाकी नहीं रखेगे किन्तु जिस ढंग से राहुल गांधी के गठबंधन के समानांतर दिग्गज राज नेताओं ने फेडरल फ्रंट का इजाद किया है उससे आभास हो रहा हैं कि मोदी हटाओं की मुहिम से पहले ही विपक्षी गठबंधन तार-तार हो सकता हैं। राजनीतिक हल्कों में चर्चा गर्म है कि राहुल गांधी तीन हिन्दी भाषी राज्यों में जीत का परचम फहरा कर जितने मजबूत दिखायी दे रहे हैं वहां विपक्षी संगम में वह मजबूर हैं।

कांग्रेस के दिग्गजों को लग रहा था कि राहुल गांधी को पीएम के चेहरे के रुप में सारा विपक्ष सहमति जताएगा जबकि आधे से ज्यादा विपक्ष ने फेडरल फ्रंट का संकेत देकर कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि जिन छत्रप दलों ने पसीना बहाकर राज्यों में वोटों की फसल उगायी तथा प्रदेशों में गेर कांग्रेसी सरकारें बनाने में कामयाब रहे वे दल राहुल गांधी को मुखिया मानने को तैयार नहीं हैं।

फेडरल फ्रंट की बिसात बिछा रही इन दलों की टोली एक बार फिर अपनी शर्त रखेगी कि पीएम चेहरे का फैसला लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद होना चाहिए। इसके साथ ही जिन प्रदेशों में जिस दल का प्रभुत्व है वहां कांग्रेस सीटें छोड़ने में कंजूसी न दिखाए। इसमें दो राए नहीं कि कांग्रेस अभी भी ताकतवर नहीं हैं। इसके विपरीत भाजपा भी अपनी शतरंजी चालों से विपक्ष को झटके देने में अभी भी सक्षम हैं।

भाजपा आम चुनाव में विभिन्न केन्द्रीय योजनाओं के लाभार्थियों पर फौकस कर रही हैं। राष्ट्रीय परिषद में इसका खुलासा करेगी कि समाज के जिन तबके के लोगों को लाभ मिल रहा हैं वे पार्टी को सत्ता में लाने में सहायक सिद्ध होंगे। कहा जा रहा है कि तीन तलाक के विधेयक से मुस्लिम महिलाओं के मध्य संदेश जा रहा है कि मोदी ने वायदा निभाया। यदि कांग्रेस व विपक्ष बाधक बने तो भी भाजपा नफे में रहेगी। भाजपा की दिल्ली में प्रस्तावित राष्ट्रीय परिषद में बिखरे विपक्ष को मात देने का मंत्र अपने सेनापतियों में फूंक कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनावी अ‌भियान का श्रीगणेश करेंगे।



from Punjab Kesari (पंजाब केसरी) http://bit.ly/2BLvliL

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