बंबई हाई कोर्ट ने पुणे में भीम आर्मी को जनसभाएं करने की अनुमति देने के लिए शहर पुलिस को आदेश देने से सोमवार को इंकार किया। न्यायमूर्ति सीवी भदांग की अवकाशकालीन पीठ ने पुणे पुलिस को भीम आर्मी के पुणे अध्यक्ष दत्ता पोल की याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
भीमा आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद को रविवार शाम को पुणे में एसएसपीएमएस कॉलेज मैदान में एक रैली को संबोधित करना था लेकिन आयोजक जरूरी अनुमति हासिल करने में नाकाम रहे जिस वजह से इसे रद्द करना पड़ा। उनके समर्थकों ने शनिवार को आरोप लगाया था कि आजाद को मुंबई के होटल में ‘हिरासत’ में रखा गया है। इस आरोप का पुलिस ने खंडन किया है।
तेज तर्रार दलित नेता को सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में सोमवार को छात्रों के साथ बातचीत करनी थी, मगर विश्वविद्यालय अधिकारियों ने कहा कि कार्यक्रम के लिए इजाजत नहीं दी गई है। पोल ने अपनी याचिका में कोर्ट से उन्हें जनसभा आयोजित करने के लिए पुणे पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया।
याचिका के मुताबिक, भीमा आर्मी ने शहर में 30 और 31 दिसंबर को जनसभाओं की इजाजत मांगने के लिए पुणे पुलिस को कई आवेदन दिए थे। पोल के वकील नितिन सतपुते ने कहा, ‘‘ हालांकि, आज तक पुलिस ने इसका जवाब नहीं दिया। हमें बाद में, मीडिया से पता चला कि हमारे आवेदनों को खारिज कर दिया गया है। इसलिए, यह याचिका दायर की गई है और हमें जनसभा करने की अनुमति देने के लिए पुणे पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।’’
याचिका में दावा किया गया कि आजाद और भीम आर्मी के मुंबई इकाई प्रमुख अशोक कांबली को मुंबई पुलिस ने नजरबंद कर दिया है ताकि वह पुणे नहीं जा पाएं। पुणे पुलिस की ओर से पेश वकील ने न्यायमूर्ति भदांग को सोमवार को बताया कि आजाद को कभी भी न हिरासत में लिया गया और ना ही नजरबंद किया गया। हाई कोर्ट ने कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार करते हुए पुलिस को हलफनामा दायर करने को कहा। इसके अलावा याचिका पर सुनवाई की तारीख चार जनवरी तय कर दी।
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