संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित रहने के लिए विपक्षी दलों ने सत्तापक्ष को दोषी ठहराया है। उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की अध्यक्षता में सोमवार को विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई। इसमें कार्यवाही बाधित करने को लेकर सदन में स्थिति स्पष्ट करने पर चर्चा हुई।
उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा उच्च सदन में पेश किए जाने वाले तीन तलाक संबंधी विधेयक पर विपक्ष की रणनीति तय करने के लिए हुई इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस सदस्य डेरेक ओ ब्रायन, सपा के रामगोपाल यादव, राजद के मनोज झा और आप के संजय सिंह सहित अन्य दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया।
बैठक के बाद ब्रायन ने कहा कि शीतकालीन सत्र के शुरुआती 11 दिनों में राज्यसभा में औसतन 16 मिनट प्रतिदिन काम हुआ। उन्होंने अन्नाद्रमुक का नाम लिए बिना कहा कि बीजेपी के तमिल सहयोगी दल सदन की बैठक 11 बजे शुरु होने के दस मिनट बाद आसन के समीप जाकर नारेबाजी शुरु कर देते हैं।
ब्रायन ने सदन की बैठक दिन भर के लिए स्थगित करने पर तंज कसते हुए कहा ‘‘हंगामा शुरु होते ही सदन की बैठक दो बजे तक के लिए नहीं बल्कि दिन भर के लिए स्थगित कर दी जाती है।’’ उच्च सदन में आज शून्यकाल शुरु होते ही अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर कावेरी मुद्दे पर नारेबाजी शुरु कर दी।
इस पर आजाद ने उपसभापति हरिवंश से अनुरोध किया ‘‘यह शोर हमारे हिस्से न डाला जाए। यह सरकार और अन्नाद्रमुक के बीच का मामला है। इसमें विपक्ष शामिल नहीं है।’’ आजाद ने कहा कि विपक्ष के सभी दल सदन की बैठक को सुचारु रूप से चलने देने के पक्षधर हैं। उन्होंने सत्तापक्ष पर सदन की कार्यवाही नहीं चलने देने का आरोप लगाया।
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