गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि बसपा सरकार के समय बने स्मारकों को ‘फिजूलखर्ची’ बताने के लिए भाजपा और आरएसएस को बहुजन समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।
मायावती ने भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए एक बयान में कहा, ”लगभग तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से बनी पटेल की ‘स्टेच्यू आफ यूनिटी’ प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात में अनावरण के बाद भाजपा और आरएसएस के उन सभी लोगों को बहुजन समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिये जो बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर सहित दलितों एवं अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बसपा सरकार द्वारा लखनऊ और नोएडा में निर्मित भव्य स्थलों, स्मारको, पार्कों को फिजूलखर्ची बताकर इसकी जबर्दस्त आलोचना किया करते थे।”
मायावती ने कहा, ”वैसे तो पटेल अपनी बोल-चाल, रहन-सहन व खान-पान में पूर्ण रूप से भारतीयता व भारतीय संस्कृति की एक मिसाल थे। लेकिन उनकी भव्य प्रतिमा का नामकरण हिन्दी एवं भारतीय संस्कृति के नज़दीक होने के बजाय स्टेच्यू आफ यूनिटी जैसा अंग्रेजी नाम रखना कितनी राजनीति है, यह देश की जनता अच्छी तरह से समझ रही है ।”
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उन्होंने कहा कि पटेल विशुद्ध रूप से भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के पोषक थे लेकिन उनकी प्रतिमा पर विदेशी निर्माण की छाप उनके समर्थकों को हमेशा सताती रहेगी। बसपा प्रमुख ने कहा कि आम्बेडकर की तरह पटेल एक राष्ट्रीय व्यक्ति थे और उनका सम्मान भी था लेकिन भाजपा और उसकी केन्द्र सरकार ने उन्हें क्षेत्रवाद की संकीर्णता में बांध दिया है।
उन्होंने कहा कि देश की जनता यह भी नहीं समझ पा रही है कि भाजपा को यदि वाकई पटेल के नाम पर राजनीति करने के बजाय उनसे सही मायने में लगाव होता तो गुजरात में अपने लम्बे शासन के दौरान उनकी ऐसी भव्य प्रतिमा क्यों नहीं बनायी ।
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