लखनऊ : समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव मंगलवार को अपने भाई शिवपाल की पार्टी ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी’ के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। कार्यक्रम में शिवपाल और उनके समर्थकों की तरफ से मुलायम सिंह यादव को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की एक सुर में आवाज उठी। लेकिन यहां से अपना भाषण खत्म करने के बाद वह अखिलेश के साथ मीटिंग करने समाजवादी पार्टी के कार्यालय चल गए। अब दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं की निगाहें उन पर लगी हुई हैं कि वो अब क्या बोलते हैं।
मुलायम सिंह से शिवपाल ने कहा आपको इस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना। हम आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव करते हैं। इस प्रस्ताव का शिवपाल की पार्टी के लोगों ने एक सुर में समर्थन किया। शिवपाल ने कहा, ‘जहां समाजवादी लोग हैं वहीं नेता जी हैं। इस पर मुलायम ने राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने के लिए । इसके बाद शिवपाल ने 5 दिन में राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने की बात कही। शिवपाल के घर पहुंचे मुलायम सिंह यादव ने बोलना शुरू किया तो वो सपा की तारीफ करने लगे। ऐसे में कार्यकर्ताओं की आवाज आई कि यह समाजवादी पार्टी नहीं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी है। इस पर मुलायम सिंह बोले, ‘अच्छा, अब समाजवादी पार्टी का दूसरा नाम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी हो गया है। बता दें कि मुलायम का शिवपाल के घर पहुंचना सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए झटका माना जा रहा।
मुलायम के द्वारा शिवपाल के प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को अपना आशीर्वाद देना और पार्टी को मजबूत करने की बात कह कर एक बार फिर सपा के लोगों को बेचैन कर। लेकिन इसके बाद अखिलेश के साथ चल रही मीटिंग से सपा कार्यकर्ताओं ने रात की सांस ली। शिवपाल पहले ही कह चुके हैं कि उन्होंने मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से ही समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाया है। नेता जी का आशीर्वाद उनके साथ है और आगे भी रहेगा। मंगलवार को शिवपाल के बंगले पर पहुंचे मुलायम ने कई ऐसी बातें कहीं जिनसे अखिलेश की टेंशन बढ़ सकती है। मुलायम सिंह यादव के बारे में कहा जाता है कि उनका बायां हाथ क्या करेगा, यह उनका दायां हाथ भी नहीं जानता। वह कभी अखिलेश की प्रशंसा करते हैं तो कभी सार्वजनिक मंचों से अखिलेश को नसीहत भी दे देते हैं। इसी तरह कभी शिवपाल पर एकदम चुप हो जाते हैं, कभी कहते हैं समाजवादी पार्टी में सभी लोग एक हैं।
राजनीतिक समीक्षक कहते हैं कि मुलायम की वजह से ही अखिलेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान शिवपाल अलग पार्टी नहीं बना पाए। यह मुलायम की राजनीति ही रही कि दोनों उन्हें अपना नेता मानते रहे। बता दें कि इस बंगले में शिवपाल से पहले मायावती रहती थीं। माना जा रहा है कि सपा के खिलाफ शिवपाल को मजबूत करने के लिए बीजेपी सरकार ने यह बंगला उन्हें अलॉट किया है। हालांकि इस पर शिवपाल ने कहा था कि बीजेपी ने उन्हें सरकारी बंगला देकर कोई मेहरबानी नहीं की है। उनके ऊपर खतरा था, एलआईयू की रिपोर्ट थी। वह 5 बार से विधायक हैं, सबसे सीनियर हैं और उन्हें छोटा सा फ्लैट दिया गया था। यही वजह है कि उन्हें बंगला आवंटित किया गया है।
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