माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने सरकार का सामान्य कामकाज पूरी तरह से लड़खड़ा कर धराशायी होने का आरोप लगाते हुये कहा है कि केन्द्र सरकार अपने ही तैनात किये अधिकारियों को संभाल पाने में नाकाम साबित हुयी है।
येचुरी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा “सरकार का सामान्य प्रशासनिक कामकाज भी लड़खड़़ा गया है और अर्थव्यवस्था मंदी की शिकार है। यह सरकार अपने ही नियुक्त किये अधिकारियों, संस्थाओं और महत्वपूर्ण मुद्दों को संभाल पाने में अक्षम साबित हो रही है।”
उन्होंने मोदी सरकार को हर मोर्चे पर नाकाम बताते हुये कहा “बीते चार साल हमारे इतिहास में सर्वाधिक अंधकारमय दौर के रूप में दर्ज किये जायेंगे। हर तरफ अफरा तफरी मची हुयी है और सरकार ने अपने प्रचार पर पांच हजार करोड़ रुपये खर्च कर डाले।”
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संवैधानिक संस्थाओं के साथ सरकार के टकराव का मुद्दा उठाते हुये येचुरी ने एक अन्य ट्वीट में कहा “न्यायपालिका, संसद, सीबीआई और अब आरबीआई… । मोदी सरकार ने प्रत्येक संवैधानिक संस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। इस कोशिश की वजह संस्थाओं को गड़बडी के लिये जिम्मेदार ठहराया जाना है और इसके पीछे की मंशा अपने साढ़े चार साल की नाकामी का दोष संस्थाओं में व्याप्त गड़बड़ियों पर मढ़ना है।”
बैंकों के कर्ज में फर्जीवाड़े के मुद्दे पर येचुरी ने सरकार पर तथ्यों को छुपाने का आरोप लगाते हुये कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय लंबे समय से सच पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा था।
उन्होंने कहा कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकिंग फर्जीवाड़े से जुड़े ‘हाई प्रोफाइल’ लोगों की सूची फरवरी 2015 में ही मोदी सरकार को सौंप दी थी लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। येचुरी ने सरकार पर प्रधानमंत्री मोदी के चहेते लोगों के बैंक ऋण माफ करने और शेष बकायेदारों को देश छोड़ कर भागने की अनुमति दे दी।
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