Saturday, March 30, 2019

नेशनल लॉ कॉलेज को क्यों शिफ्ट किया?

नैनीताल : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि बिना हाईकोर्ट को बताए नेशनल लॉ कॉलेज को देहरादून के रानीपुर में कैसे शिफ्ट कर दिया, यह पूर्व के आदेश की अवमानना है। जबकि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश लॉ कालेज के चांसलर होते है। कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश में साफ कहा था कि नेशनल ला काॅलेज ऊधम सिंह नगर के प्राग फार्म में खोला जाय। सितम्बर 2018 तक क्लासेस शुरू की जाय जबतक बिल्डिंग बनकर तैयार नहीं हो जाती सरकारी या प्राइवेट भवनों में शिक्षण कार्य प्रारभ किये जाएं।

जब प्राग फार्म में जगह चयनित हो चुकी थी, तो रानीपोखरी में ले जाने की क्या जरूरत थी। यह सीधे कोर्ट के आदेश का अवमानना है। आज सरकार की तरफ से आदेश का पालन करने के लिए अतरिक्त समय के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था। जिस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खण्डपीठ ने निरस्त कर दिया। मामले में याचिकाकर्ता डॉक्टर महेंद्र सिंह पाल द्वारा कोर्ट को अवगत कराया गया कि एकलपीठ में अवमानना याचिका विचाराधीन है, जिसमें एकलपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, प्रमुख सचिव न्याय, डीएम ऊधम सिंह नगर को पक्षकार बनाते हुए 6 मार्च को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के दिए है।

पूर्व में वरिष्ठ न्यायधीश राजीव शर्मा कि खण्डपीठ ने सरकार को उधम सिह नगर के प्राग फार्म में जल्द से जल्द केन्द्रीय लाॅ विश्व विधालय खोलने के आदेश दिए थे। साथ में खंडपीठ ने राज्य सरकार को लाॅ विश्वविद्वालय की फेकल्टी तथा अन्य स्टाफ की नियुक्ति प्रकिया पूरी करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि सरकार 16 अगस्त 2018 से लाॅ की कक्षाएं प्रारम्भ कराएं।

जब तक सरकार द्वारा विश्वविद्वालय की बिल्डिंग पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाती है, तब सरकार किराए के भवन में लाॅ कक्षा चलाए और राज्य सरकार विवि बनाने के लिए 25 एकड़ भूमी हस्तांतरित करे, लेकिन 6 माह बाद भी ना तो भूमि हस्तांतरण हुआ और ना ही काॅलेज संचालित हुआ। याचिकाकर्ता डाॅ. भुपाल भाकुनी ने अवमानना याचिका दायर की और कहा की सरकार पर आरोप लगाया की सरकार विश्वविधालय बनाने के बजाए चयनित भूमि को बेचने का प्रयास कर रही है।



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