प्रयागराज : स्त्री शक्ति का प्रतीक है और उसे अपनी पहचान बनाने के लिए स्वयं आगे आना होगा। यह उद्गार लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कुम्भ नगरी में अपने भ्रमण के दौरान नारी सशक्तिकरण विषय पर परमार्थ निकेतन आश्रम में ‘स्वाभिमान-बेटियों की उड़ान’ विषयक आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति का प्रतीक है और उसका मातृरूप पूरे विश्व के लिये जन कल्याणकारी है।
सुमित्रा महाजन ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नदियों को भी मातृरूप प्रदान किया गया है और प्रत्येक नदी की एक विशेषता हैं। गंगा पवित्रता का, यमुना श्रृंगार का, सरस्वती ज्ञान का, गोदावरी भक्ति का तथा नर्मदा को कौमार्य का प्रतीक माना जाता है, और यह सभी गुण एक स्त्री के भीतर भी पाये जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नदियों के किनारे संसार बसता है, उसी प्रकार एक स्त्री के ममता के आंचल में परिवार बसता है।
सुमित्रा महाजन ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में भी नारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, तथा वह उसका महत्व समझ रही है। वट वृक्ष, आंवला आदि की पूजा करना इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। अगर महिला स्वयं सशक्त हों जाये तो वह पूरे संसार को सशक्त करेगी। उन्हांने कुम्भ के दौरान केवल संगम में ही नहीं अपितु ज्ञान और विचारों के संगम में डुबकी लगाते हुये सद्विचारों को आत्मसात किये जाने पर बल दिया। बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के विषय में उन्हांने कहा कि बाल विवाह की कुरीति समाज से बिल्कुल समाप्त हो जानी चाहिये।
– बॉबी
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