गुरुग्राम : सृष्टि का शासन वेद के विधान से ही चलता है। वेद किसी मजहब की पुस्तक या शादी-ब्याह, पूजा पाठ या गृहप्रवेश कराने के मंत्र नहीं है, अपितु वेद ऐसा विधान है, जिससे सृष्टि का शासन चलता है। उक्त उद्गार योग गुरु रामदेव ने विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष और हिंदुत्व के प्रखर पुरोधा अशोक सिंघल की स्मृति में गुड़गांव की सामाजिक संस्था सिंघल फाउंडेशन द्वारा आयोजित भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार समारोह को मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि वेद को किसी धर्म की नजर से नहीं देखना चाहिए। वेद धर्म से बहुत ऊपर है। धर्म तो देश में 3 हजार साल पहले आया, उससे पहले वेद के आधार पर सृष्टि का संचालन होता था। योग गुरु ने कहा कि वेदों के प्रचार-प्रसार में उनकी पतंजलि योगपीठ जुटी हुई है। सैकड़ों छात्रों को वैदिक शिक्षा दी जा रही है।
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जब योग गुरु से विदेशों में जमा काला धन लाने के लिए पूछा गया तो उन्होंने कहा कि धन कभी असुरों या बुरे कर्म करने वालों के पास नहीं रहना चाहिए। वेद हमारे पुरातन धर्म का आधार हैं। यजुर्वेद में भी उल्लेख है कि चाहे कुछ भी हो, देश में चोरों का शासन नहीं होना चाहिए।
– एमके अरोड़ा
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