चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना ‘म्हारा गांव जगमग गांव’, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना और इंटिग्रेटिड पावर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में हजारों करोड़ का घोटाला हुआ है। इन योजनाओं के अंतर्गत दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम के 7 जिलों में घटिया क्वालिटी की केबल तारें लगाई गई है। घटिया क्वालिटी का माल उपलब्धि कराने वाली चहेती फर्मों पर कार्रवाई करने की बजाय खानापूर्ति के लिए सरकार ने ठेकेदारों पर 42 करोड़ की रिकवरी डाल दी। यह बात प्रैसवार्ता में नेता विपक्ष अभय चौटाला ने आरटीआई से मिली जानकारी के हवाले से कही।
रजिस्ट्री फीस में बढ़ोतरी जनता के साथ अन्याय
नेता विपक्ष ने कहा कि कहां तो लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए सराकर को कदम उठाने चाहिए थे वहीं उल्टा रजिस्ट्री फीस में बढ़ोतरी कर जनता के साथ अन्याय कर दोनों हाथों से लूटने का काम कर रही है। उन्होने पिछले दिनों प्रदेश में भारी बारिश में लाखों एकड़ फसल बर्बाद होने पर चिंता वयक्त करते हुए कहा कि सरकार को तुरंत प्रभाव से गिरदावरी करवा, किसानों को कम से कम प्रति एकड़ 25 हजार रुपए का मुआवजा देना चाहिए।
एसवाईएल के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार : अभय चौटाला
घोटालेबाजों को सरक्षंण दे रही है सरकार
चौटाला ने खट्टर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि घोटालों के मामलों व घोटालेबाजों को संरक्षण देने में प्रदेश की मौजूदा सरकार, हुड्डा सरकार को भी मात दे रही है। नेता विपक्ष ने कहा कि उपरोक्त योजनाओं में घोटाले की जानकारी तब हुई इस्तेमाल किए गए उपकरण गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरे और सभी सैंपल फेल पाए गए। उन्होंने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि सरकार उन सभी फर्मों को ब्लैक लिस्ट करती और उनसे नुकसान की भरपाई करती लेकिन अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए फर्मों को छोड़, सरकार ने आनन-फानन में ठेकेदारों पर रिकवरी डालने का निर्णय लिया।
अभय सिंह चौटाला ने सरकार कि निष्पक्ष जांच की मंशा पर यह कहते हुए संदेह प्रकट किया कि इन स्कीमों में सबसे ज्यादा उपकरणों की खरीद फरीदाबाद व गुरूग्राम में हुई थी लेकिन सरकार ने उन जिलों में जांच नहीं करवाई। इसका सीधा मतलब है कि सरकार घोटालेबाजों को बचाने का काम कर रही है। वहीं नेता विपक्ष ने याद दिलाया कि वर्ष 2014 में 253 करोड़ के मीटर पिल्लर बोक्स घोटाले में स्वयं मुख्यमंत्री ने केस दर्ज कर कार्यवाही के आदेश दिए थे और 7 अधिकारियों को सस्पैंड किया था लेकिन सरकार ने बाद में सभी को बहाल कर दिया। एक अन्य मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सोनीपत एमसी कार्यालय कम्प्लैक्स जोकि 6.62 करोड़ में तैयार होना था उसको नियमों के विरुद्ध 28 प्रतिशत अधिक डीएसआर दिल्ली शेडयूल रेट पर निर्माण सामग्री खरीद कर 12.8 करोड़ में किया गया।
(आहूजा)
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