वाशिंगटन : अमेरिका में चीनी वस्तुओं के आयात पर भारी आयात-शुल्क लगाये जाने के बीच दोनों के बीच व्यापार युद्ध छिड़ने की आशंकाओं पर दोंनों के विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है। चीनी विशेषज्ञ ने यहां एक चर्चा में अमेरिका की व्यापार नीति पर असहमति जताते हुए कहा कि मौजूदा व्यापार व्यवस्था से दोनों देशों में समृद्धि बढ़ी है। चर्चा में वाशिंगटन (अमेरिका) के हडसन इंस्टिट्यूट के अध्यक्ष केन वेंस्टीन ने चीन के सेंसट फार चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन (सीसीजी) के शोधकर्ताओं के साथ बातचीत में कहा कि हमें अभी यह नहीं दिखता कि चीन ने अपने बाजार को अमेरिकी निवेशकों के लिए पूरी तरह उदार या खुला किया है।
वेंस्टीन ने कहा कि बौद्धिक संपत्ति की चोरी, भारी सरकारी सहायता से चल रहे और कुछ मामलों में चीन की सेना से जुड़े चीनी उपक्रमों की भूमिका, रणनीतिक उद्येश्यों से किए जा रहे व्यापार , बाजार लागत से कम मूल्य पर सामान पाटने जैसे अनेक मुद्दे हैं जो अमेरिका-चीन संबंधों की दृष्टि से गंभीर मामले हैं। सीसीजी के अध्यक्ष हुइयाओ वांग ने कहा कि पिछले 40 साल के निकट संबंधों से दोनों देशों को काफी अधिक लाभ हुआ है।
‘निर्यात सुधारने के लिए विदेश व्यापार नीति की समीक्षा जल्द’
उन्होंने उम्मीद जतायी कि ट्रंप प्रशासन स्थिति को बदलने की बजाय उन फायदों को कायम रखने की दिशा में काम करेगा। वांग ने कहा कि अतीत में चीन में सुधार और बाजार को खोलने में अमेरिका की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने कहा कि चीन के डब्ल्यूटीओ से जु़ड़ने के साथ ही वहां अमेरिकी निर्यात में 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसी दौरान अमेरिका के वैश्विक निर्यात में 90 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई।
हडसन इंस्टीट्यूट के चीन विषयक अध्ययन केंद्र के प्रमुख माइकल पिल्सबरी ने कहा कि चीन के विशेषज्ञों ने चीन का पक्ष ‘बहुत विस्तार’ से रखा लेकिन व्यापार संबंधों को लेकर ट्रंप द्वारा जतायी जा रही चिंता के समाधान की दृष्टि से वे बातें ‘पर्याप्त नहीं’ हैं। अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके विद्वान हुसैन हक्कानी ने कहा कि चीन-अमेरिकी संबंधों में दिक्कतों की शुरुआत दोनों देशों की राजनीतिक व्यवस्था की पारदर्शिता में बहुत अधिक अंतर से शुरू होती है।
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