नई दिल्ली : भारत आईटी शिक्षा में प्रमुख होने के अलावा, हजारों सालों से भावनात्मक विज्ञान के ज्ञान में अग्रणी रहा है। यह कहना है उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का। मॉस्को में दिल्ली की प्रस्तुती देते हुए उन्होंने कहा कि कक्षा में केवल प्रौद्योगिकी और विशिष्ट विषयों पर ही चर्चा नहीं की जानी चाहिए। बल्कि दुनिया की मदद करने के लिए हमारी भूमिका पर भी चर्चा होनी चाहिए। इसमें हिंसा, विशेष रूप से घृणा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई व अन्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम शिक्षा की मदद से बदलाव ला सकते हैं।
आज हम कृत्रिम बुद्धि के माध्यम से मशीनों से काम करवा रहे हैं। वहीं इंसान एक-दूसरे से नफरत और मारपीट फैला रहा है। उन्होंने कहा कि क्या हमारे पास अपने छात्रों को लोकतंत्र और समाजों के लिए तैयार करने की योजना है जो मशीनों से अधिक सटीक और तेज कार्य करें। हमनें इसका जवाब तैयार किया है। हम सभी मनुष्यों के दिमाग को खुशी से भर सकते हैं। दिल्ली के स्कूलों में हमने यह शुरू कर दिया है। स्कूलों में शुरू किए गए हैप्पीनेस कार्यक्रम का तेजी से परिणाम भी आ रहा है।
सिसोदिया को मिली मॉस्को जाने की अनुमति
उन्होंने कहा कि शिक्षा बदल सकती है लेकिन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य हजार वर्षों तक नहीं बदला है और इसे भी नहीं बदला जाना चाहिए। बता दें कि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गुरुवार को रूस की राजधानी मॉस्को में वर्ल्ड एजुकेशन कॉन्फ्रेंस में शरीक हुए। सिसोदिया ने यहां कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दिल्ली के एजुकेशन मॉडल को प्रस्तुत किया। सिसोदिया ने सम्मेलन में दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधारों पर बात की।
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