कहा जाता है की गहने महिलाओं की पहली पसंद होते है और अगर गहने सोने के हो आगे कुछ कहने की जरुरत ही नहीं है। आपने सोने से बने हर तरह के गहने देखे होंगे पर क्या कभी आपने सोने से बने ऐसे गहने देखे है जो पैरों में पहने जाये। आपने ये भी देखा होगा की पैरों में जो गहने पहने जाते है वो चांदी से बने होते है क्योंकि सोने से बना गहने पैर में पहना ही नहीं जाता।
अब चाहे पायल देख लीजिये या फिर बिछी सब चांदी से बने होते है। तो आइये जानते है की सोने से बने गहने पैरों में क्यों नहीं पहने जाते। यह इत्तेफाक नहीं है बल्कि इसके पीछे छुपा हुआ है एक गहरा रहस्य। आएं आज हम आपको बताते है कि वह रहस्य क्या है? इसके दो मुख्य कारण हैं।
अगर धार्मिक रूप से देखा जाए तो फिर सोने को एक तरह से लक्ष्मी जी का स्वरूप समझा जाता है। भगवान विष्णु जी की सबसे ज़्यादा प्रिय वस्तु सोना है।
इसीलिए कभी भी सोने को बॉडी के निचले हिस्सों में नहीं पहना जाता है। कहते हैं, कि जो चीज़ भगवान को प्रिय होती है उसे पैर में ग्रहण करने से उनका अपमान होता है।
इसीलिए हमेशा ही सोने के गहनो को पेट के ऊपर या फिर नाभि के ऊपर ही पहना जाता है। इसीलिए हमेशा पैरो में पायल चाँदी की ही पहनी जाती है।
लोगो का ऐसा मानना है कि चाँदी की पायल में जो घुंघरू लगाए जाते हैं और उस घुँघुरु की जो आवाज़ होती है वह सीधे दिल तक पहुँच कर उसे शांत रखने में मदद करती है।सोने को पैरो में न पहनने का कारण है, हमारी बॉडी के सर का भाग गर्म होता है और हमारे पैर ठंडे होते हैं।
सोना एक ऐसी धातू है जिसमें से गर्म ऊर्जा निकलती है और चाँदी से शीतल ऊर्जा निकलती है। इसी वजह से चाँदी को पैरो में पहना जाता है ताकि वह उसकी शीतलता हमारे सर तक पहुँचा सके। और सोने की गर्म ऊर्जा पैरों तक पहुँच सके इसीलिए उसे सर पर पहना जाता है।
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