जींद : नौकरियों में मैरिट और पारदर्शिता को महत्व देेने वाली मनो सरकार के उडऩ दस्ते ने एनएचएम के अधीन काऊंसलर की नियुक्ति में अयोग्य होने के बावजूद भी चहेतों की भर्ती करने के मामले में जींद नागरिक अस्पताल में ड्यूटी फरमाने वाले कई पूर्व तथा वर्तमान डॉक्टरों के पर कतरने का काम किया है। सीएम उडऩ दस्ते में बतौर डीएसपी की शिकायत में नेत्र सहायक डॉ. राजबीर बेरवाल द्वारा चयनित कमेटी के सदस्यों तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. आरएस पूनिया, उपसिविल सर्जन डॉ. सतीश सुलेख के साथ मिलीभगत करके अपनी पत्नी कमलेश और रिश्ते में साली ममता का चयन करवाने के आरोप सामने आएं है।
इसलिए जींद सिविल थाना ने पूर्व सीएमओ आरएस पूनिया, रिटायर्ड हो चुके तत्कालीन जींद में डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. सतीश सुलेख, नेत्र रोग सहायक डॉ. राजबीर बेरवाल के खिलाफ धोखाधड़ी तथा अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू की है। सीएम उडऩदस्ते ने जहां नौकरियों में पारदर्शिता लाने के लिए यह अहम कार्य किया, वहीं डीएसपी पवन शर्मा मामला दर्ज होने के बाद भी मीडिया के सम्मुख इस मामले को उजागर करने से बचते हुए नजर आये। सीएम उडऩ दस्ते के निर्देशोंनुरूप डीएसपी राजबीर सिंह की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया है। बताया जा रहा है कि सामान्य अस्पताल में वर्ष 2014 में कुल 99 पदों के लिए एनएचएम द्वारा विज्ञापन जारी किया गया था। इसमें नागरिक अस्पताल जींद के लिए 17 पदों का विज्ञापन था।
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जिसमें सामान्य अस्पताल जींद के लिए एक पद पुरुष तथा दो पद उपमंडल स्तर के लिए जिसमें एक महिला व एक पुरुष लिये गए थे। 14 पद प्रत्येक सीएचसी के लिए थे। इस विज्ञापन के पश्चात एनएचएम के अधीन उम्मीदवारों के चयन के लिए एक कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी में डॉ. अंशुल डेंटल सर्जन नागरिक अस्पताल जींद, डॉ. सतीश सुलेख उप सिविल सर्जन नागरिक अस्पताल जींद, उपायुक्त प्रतिनिधि जींद, जींद के सिविल सर्जन डॉ. आरएस पूनिया शामिल थे। इनमें से 13 उम्मीदवारों को चयनित किया गया।
इन 13 उम्मीदवारों में से 8 उम्मीदवारों ने सिविल सर्जन कार्यालय में डिग्री की वैधता की जांच के लिए मूल प्रमाण पत्र जमा करवाएं थे। इनमें नेत्र रोग सहायक डॉ. राजबीर बेरवाल की पत्नी कमलेश के अलावा उनकी साली ममता के गलत दस्तावेज पेश करके तथा जांच कमेटी से मिलीभगत कर दोनों की नियुक्ति करवाई। कमलेश और ममता ने मास्टर डिग्री की डीएमसी का मूल प्रमाण पत्र सिविल सर्जन कार्यालय में जमा नहीं करवाया और ना ही जांच कमेटी के आगे प्रस्तुत किये।
– संजय शर्मा
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