आपने घरों दफ्तरों आदि में पंखे लगे हुए तो जरूर देखें होंगे जिनका इस्तेमाल गर्मी दूर करने के लिए किया जाता है। पंखों का उपयोग दशकों पुराना है और अब भले ही कूलर और एयर कंडीशनर उपलब्ध है पर पंखों का इस्तेमाल खत्म नहीं हुआ है। आम जगहों की तरह भारतीय संसद में भी पंखें लगे हुए है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें क्या ख़ास बात है तो आपको बता दें की भारतीय संसद में जिस तरह से पंखें लगे है वैसे आपने कहीं नहीं देखें होंगे।
संसद – भवन में क्यों लगे है उलटे पंखे
जी हाँ आपने संसद तो देख ही रखी होगी जहाँ पर सेन्ट्रल हॉल में देश के बड़े बड़े मुद्दों पर चर्चा की जाती है और ये चर्चा ही देश का भविष्य तय करती है और हमारी जिन्दगी की ग्रोथ से लेकर के हर बड़े फैसले भी यही पर ही लिए जाते है।
अगर आपने यहाँ के सेन्ट्रल हॉल को जरा ध्यान से देखा होगा तो यहाँ पर पंखे छतो पर नही बल्कि जमीन से ऊपर की ओर उलटे लगे होते है। आम तौर पर तो आपने भी देख ही रखा होगा लेकिन अगर नही देखा होगा तो अगली बार संसद की विडियो में नोटिस करियेगा।
अब सवाल ये उठता है कि इसके पीछे आखिर क्या कारण है? दरअसल संसद आज से एक सदी पहले ही बन गयी थी और उस वक्त एयर कंडीशनर तो थे नही, ऐसे में संसद में पंखे लगाने थे तो देखा कि ये बिल्डिंग पंखे के हिसाब से तो है नही क्योंकि ऊपर बहुत ही उंचा गुम्बद है और वहां से पंखे की हवा इतने नीचे तक कैसे लायी जायेगी?
डंडा इतना लंबा लगना होगा और ये उतना कारगर होगा नही तो ऐसा किया गया कि संसदभवन में पंखे उलटे ही लगा दिए गये ताकि हवा पास से ही सांसदों तक आती रहे।
ये तरीका काम कर गया और जब संसदभवन को नए तरीके से बनाया गया तब भी इसकी ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए संसद में पंखो को उलटा ही रखा गया ताकि इसकी भव्यता को यूँही बनाया रखा जा सके और वाकई में भारत की संसद तो सबसे अलग है।
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