अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम तथा आरक्षण के मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाराज चल रही करणी सेना 21 अक्टूबर को जयपुर में आयोजित सम्मेलन में राजनीतिक फैसला करेगी। राजस्थान में 12 लाख सदस्यों का दावा करने वाले करणी सेना के संरक्षक लोकेन्द, सिंह कालवी ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि 21 अक्टूबर को यह फैसला होगा कि किस दल का समर्थन किया जाये। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम में जांच से पहले गिरफ्तारी के प्रावधान को हटाने के लिए किये गये बंद के अपार समर्थन को देखकर भाजपा को अपना रुख बदलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के 29 अक्टूबर 2007 को लागू किये गये अधिनियम में जांच से पहले गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं था। उसी तर्ज पर यह अधिनियम देश में लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए जिसका समर्थन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता भी कर रहे है लेकिन भाजपा उनसे भी अलग राह पर चल रही है। राजस्थान में पिछले दिनों हुये तीन उपचुनाव में भाजपा की हार के पीछे राजपूत समाज की नाराजगी बताते हुये श्री कालवी ने कहा कि भाजपा को इस चेतावनी को समझकर अपना रवैया बदलना चाहिए अन्यथा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
श्री कालवी ने चुनावी गठजोड़ के लिए कांग्रेस से सम्पर्क करने की बात से इनकार करते हुये कहा कि किसी भी दल से सम्पर्क नहीं किया जा रहा है। सेना के सदस्य ही सम्मेलन में राजनीतिक निर्णय लेंगे। सेना के अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने कहा कि पदमावती फिल्म को लेकर शुरु हुई विराध की गूंज अब एससी एसटी एक्ट तथा आरक्षण की समीक्षा सहित कई मुद्दों को लेकर तेज हो गयी।उन्होंने कहा कि पृथ्वीराज चौहान की जीवनी पर बनने वाली फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गयी तो आंदोलन खड़ हो सकता है।
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