बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के नर्सिंग छात्र-छात्राओं ने डिग्री की मान्यता को लेकर गुरुवार देर रात हंगामा किया। नर्सिंग कॉलेज के सामने सड़क जाम कर बैठे छात्रों को प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने जबरन हटाने का प्रयास किया तो चीफ प्रॉक्टर से नोकझोंक भी हुई। दरअसल, संस्थान प्रशासन ने अभी तक नर्सिंग कालेज का रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया है। इससे सत्र 2015, 2016 व 2017 बैच के छात्र-छात्राओं की डिग्री ही मान्य नहीं हो रही है।
इस समस्या को पहले भी वे कई बार अधिकारियों से बयां कर चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। डिग्री की मान्यता ना होने के चलते अपने भविष्य को लेकर चिंतित कई छात्राएं धरना प्रदर्शन के दौरान रो भी पड़ी। दूसरी तरफ, बीएचयू के पीआरओ राजेश सिंह का कहना है कि नर्सिंग के छात्र-छात्राओं की डिग्री को मान्यता के लिए कागजी औपचारिकता पूरी हो गई है। जल्द ही इस समस्या का समाधान बीएचयू प्रशासन निकाल लेगा।
गौरतलब है कि बीएचयू स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाई करने वाले नर्सिंग के छात्र-छात्राओं का भविष्य संस्थान प्रशासन द्वारा अभी तक इंडियन नर्सिंग काउंसिल नई दिल्ली और यूपी नर्सिंग काउंसिल लखनऊ से रजिस्ट्रेशन तथा मान्यता नहीं मिलने के कारण अधर में लटका है। इसके कारण नर्सिंग कॉलेज के सत्र 2015, 2016 और 2017 बैच के विद्यार्थियों की डिग्री मान्य नहीं हो रही है।
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बुधवार को नर्सिंग के छात्र-छात्राओं का दल इसके लिए पहले चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक और बाद में केंद्रीय कार्यालय जाकर कुलपति प्रफेसर राकेश भटनागर से मिले और अपनी समस्या से अवगत कराया। गुरुवार को सुबह सैकड़ों की संख्या में तीनों सत्र के छात्र-छात्राएं नर्सिंग कॉलेज के सामने सड़क जामकर धरना-प्रदर्शन करने लगे। वहीं प्रशासन उनकी इस समस्या से पाला झाड़ रहा है।
नर्सिंग विद्यार्थियों का कहना है कि कुछ अधिकारी समस्या दूर करने की जगह छात्रों से ही कोर्ट जाने को कह कर पाला झाड़ रहे हैं। इस संबंध में विद्यार्थी कुलपति के समक्ष अपनी समस्या लेकर केंद्रीय कार्यालय पहुंचे है। यह विद्यार्थी मंगलवार को भी केंद्रीय कार्यालय गए थे, लेकिन कुलपति शहर से बाहर थे।
इसके कारण उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। कालेज इंचार्ज प्रो. विनीता गुप्ता ने बताया कि अभी उनको ज्यादा दिन नहीं हुआ है। इसलिए ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है। वहीं डा. डीएलसी अग्रहरी ने बताया कि टीचिंग स्टाफ की कमी के कारण आइएनसी ने मान्यता रोक रखी है। इसके लिए प्रयास चल रहा है।
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