Friday, November 30, 2018

99% लोग नही जानते कंप्यूटर के ‘की-बोर्ड के बटन’ उलटे पुल्टे क्यों होते है ?

आजकल की लाइफस्टाइल और ऑफिस के बदलते स्वरूप में कंप्यूटर और लैपटॉप पर काम करना बेहद आम बात हो गया है। जी हां वैसे भी आज कल आधी से ज्यादा जनसंख्या इंटरनेट के जरिये काम करना ज्यादा पसंद करती है। यही वजह है कि आज कल न केवल दफ्तर में बल्कि घरो में भी लोग काम करने के लिए कंप्यूटर और लैपटॉप का ही इस्तेमाल करते है।

कंप्यूटर के 'की-बोर्ड के बटन'

यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो आज कल लोगो को कागज और कलम से लिखने की बजाय की बोर्ड पर हाथ चलाना ज्यादा आसान लगता है और ज्यादा पसंद भी है। वैसे यूँ तो आपने अपने कंप्यूटर और लैपटॉप के की बोर्ड पर कई बार अपनी उँगलियाँ चलाई होंगी, लेकिन क्या आपने कभी अपने की बोर्ड को गौर से देखा है।

कंप्यूटर के 'की-बोर्ड के बटन'

जी हां आप सोच रहे होंगे कि हम अचानक आपसे ये सवाल क्यों पूछ रहे है। तो आपको इस बारे में ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल हम आपसे ये सवाल इसलिए पूछ रहे है, क्यूकि हम आपको की बोर्ड के बारे में कुछ जरुरी और खास बात बताना चाहते है।

कंप्यूटर के 'की-बोर्ड के बटन'

जी हां आज हम आपको की बोर्ड के बटन के बारे में कुछ बताना चाहते है। वैसे कंप्यूटर या लैपटॉप चलाते समय क्या आपने कभी ये सोचा है कि इसके बटन क्वेर्टी आर्डर में क्यों होते है। यानि की बोर्ड के बटन अंग्रेजी की सही अल्फाबेट में क्यों नहीं लिखे होते। इसका मतलब ये हुआ कि की बोर्ड के बटन ए, बी, सी, डी ऐसे कर्म में क्यों नहीं लिखे होते।

कंप्यूटर के 'की-बोर्ड के बटन'

दरअसल की बोर्ड के बटन इस तरह से उलटे पुल्टे क्रम में होने की वजह भी बड़ी दिलचस्प है। मगर इस दिलचस्प वजह को जानने के लिए आपको इस जानकारी को पूरा पढ़ना होगा। गौरतलब है कि वास्तव में की बोर्ड को टाइपराइटर की नकल उतार कर तैयार किया गया था।

कंप्यूटर के 'की-बोर्ड के बटन'

जी हां आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पहला टाइपराइटर साल 1868 में बनाया गया था। आपको जान कर ताज्जुब होगा कि इस टाइपराइटर में बटन्स को ए, बी, सी, डी के क्रम यानि सही क्रम में रखा गया था। हालांकि इस तरह से टाइपिंग करने में व्यक्ति को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।

कंप्यूटर के 'की-बोर्ड के बटन'

वो इसलिए क्यूकि इसके सारे बटन ए, बी, सी, डी के क्रम में लगे हुए थे। जिसके चलते टाइपिंग करते समय एक ऊँगली पर दूसरी ऊँगली आ जाती थी। यानि इस तरह से टाइपिंग करना बेहद मुश्किल हो रहा था। यही वजह है कि बाद में की बोर्ड में बटन्स में ये बदलाव किया गया।

कंप्यूटर के 'की-बोर्ड के बटन'

गौरतलब है कि बाद में साल 1873 में शोल्स ने इन बटन्स में परिवर्तन करते हुए इन्हे क्वेर्टी आर्डर में तैयार कर दिया और उनका ये प्रयोग काफी हद तक सफल भी रहा। जी हां इससे लोगो को टाइपिंग करने में आसानी होने लगी। बरहलाल इसके बाद सभी की बोर्ड इसी आर्डर से तैयार किये जाने लगे और इसी को क्वेर्टी फॉर्मेट का नाम दिया गया।

कंप्यूटर के 'की-बोर्ड के बटन'

अब जाहिर सी बात है कि की बोर्ड के बारे में इतनी जानकारी तो आपको भी नहीं मालूम होगी। इसलिए हम उम्मीद करते है कि आपको हमारी ये जानकारी काफी पसंद आई होगी।

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