Tuesday, July 31, 2018

लड़कियों के खतना प्रथा पर SC की सख्‍त टिप्‍पणी, कहा- केवल शादी और प‌ति के लिए नहीं हैं औरतें

दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में नाबालिग लड़कियों के खतने की प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने लड़कियों के खतने पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस तरह महिलाओं का इस लिए खतना नही किया जा सकता कि उन्हें शादी करनी है। महिलाओं का जीवन केवल शादी और पति के लिए नही होता। शादी के अलावा भी महिलाओं का अलग दायित्व हित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये निजता के अधिकार का उलंघन है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये लैंगिक संवेदनशीलता का मामला है और स्वास्थ्य ने लिए खतरनाक हो सकता है।

कोर्ट ने कहा कि ये व्यवस्था भले ही धार्मिक हो, लेकिन पहली नजर में यह प्रथा महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है। याचिका पर सुनवाई के दौरान देश के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी महिलाओं के खतने का विरोध करते हुए याचिका का समर्थन किया। इससे पहले केन्द्र सरकार ने कहा था कि इसके लिए दंड विधान में 7 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दाऊदी बोहरा मुस्लिम समाज में आम रिवाज के रुप में प्रचलित इस इस्लामी प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए केरल और तेलंगाना सरकारों को नोटिस भी जारी किया था।

बता दे ‌कि सुप्रीम कोर्ट में दाऊदी बोहरा मुस्लिम समाज में खतना की प्रथा के खिलाफ वकील सुनीता तिहाड़ ने याचिका दायर की। जिसके बाद इस मामले पर सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट खतना पर रोक लगाने वाली याचिका वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केरल और तेलंगाना सरकारों को सुप्रीम कोर्ट नोटिस जारी कर चुका है। याचिकाकर्ता सुनीता तिहाड़ की ओर से वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि किसी भी आपराधिक कृत्य को करने की इजाजत सिर्फ इसलिए नहीं दी जा सकती है, क्‍योंकि वह एक प्रथा के नाम पर किया जा रहा है। उन्‍होंने अहम तर्क रखते हुए कहा कि प्राइवेट पार्ट छूना पॉस्को के तहत अपराध है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को भी इस मामले पर सुनवाई जारी रहेगी।

क्या है खतना

बता दें कि महिलाओं के जननांग में क्लिटोरिस नामक अंग होता है, जो कि महिलाओं की सेक्शुएलटी से जुड़ा होता है। इंटरकोर्स के दौरान महिलाओं की संतुष्टि के लिए क्लिटोरिस की काफी अहमियत होती है। लेकिन बोहरा मुस्लिम समुदाय में खतने की प्रक्रिया के दौरान क्लिटोरिस को काटकर अलग कर दिया जाता है। खतना मासूम बच्चियों का किया जाता है। कई मामलों में बच्चियां खतने के दर्द को नहीं सह पातीं और अत्यधिक खून बह जाने की वजह से उनकी सेहत के लिए गंभीर स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है। यही वजह है कि अब महिलाओं के खतने के विरोध में आवाजें उठ रही हैं।



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