Wednesday, May 30, 2018

सत्ताधारियों ने चुनाव आयोग और लोकतंत्र को अपनी ‘‘रखैल’’ बना रखा है : शिवसेना 

उपचुनावों के दौरान ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में आई खराबी को लेकर निर्वाचन आयोग पर तीखा हमला करते हुए शिवसेना ने कहा कि “सत्ताधारियों ने चुनाव आयोग , चुनाव और लोकतंत्र को अपनी रखैल बना रखा है।” गठबंधन सहयोगी भाजपा के खिलाफ तीखे हमले करते हुए शिवसेना ने सत्तारूढ़ पार्टी को “तानाशाही प्रवृत्तिवाला” बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने फायदे के लिए ईवीएम खराब किये हैं।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय के जरिए चेतावनी दी है कि जिस चुनावी प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठ गया है वह प्रक्रिया लोकतंत्र के लिए घातक है। लेख में लिखा है, “हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, ऐसा डंका पीटने का अब कोई अर्थ नहीं रह गया है। ईवीएम ने हमारे लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा दी हैं। वर्तमान तानाशाही, भीड़तंत्र की प्रवृत्ति वाले सत्ताधारियों ने लोकतंत्र को खुद की रखैल बना रखा है।”

उसने आरोप लगाया, “भाजपा वालों ने ईवीएम को भ्रष्ट कर खुद के लिए इस्तेमाल की गई मशीनरी बना लिया है। इसलिए चुनाव और चुनाव आयोग का मतलब पीला हाउस के जंग लगी कोठियों की तवायफ बन गया है।” महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया और पालघर लोकसभा उपचुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में आयी तकनीकी खराबी की शिकायतों का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा, लेकिन इसे क्या कहें ? ईवीएम की मनमानी पर या मेहरबानी पर हमारी चुनावी मशीनरी सांस ले रही है। लोकतंत्र में एक – एक वोट का मोल है। लेकिन हजारों मतदाता घंटों लाइन में खड़े होने के बाद ‘बोर’ होकर मतदान केन्द्र से वापस लौट जाते हैं।

सामना ने लिखा है, “वर्तमान चुनाव आयोग और उनकी मशीनरी सत्ताधारियों की चाटुकार बन गई है। इसलिए वे चुनाव में किये जाने वाले शराब के वितरण, पैसे के वितरण, सत्ताधरियों की तानाशाही, धमकी भरे भाषणों के खिलाफ शिकायत लेने को तैयार नहीं हैं।” पार्टी ने गर्मी के कारण ईवीएम में खराबी आने की बात को लेकर चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्राओं पर भी चुटकी ली।

उसने लिखा है, “हिंदुस्तान का मौसम और तापमान बदलता रहता है लेकिन तापमान बढने से प्रधानमंत्री का हवाई जहाज बंद होने का उदाहरण नहीं मिलता। तापमान के कारण भाजपा की मशीनरी का तेजी से दौड़ता हुआ सोशल मीडिया का कंप्यूटर बंद नहीं पड़ता , सिर्फ ईवीएम कैसे बंद हो जाती है ?”

संपादकीय में लिखा है, “इतने वर्षों से ईवीएम ‘भेल’ कंपनी या केन्द्रीय चुनाव आयोग से मंगाई जाती थी। इस बार चुनाव के लिए ये मशीनें सूरत की एक निजी कंपनी द्वारा मंगाई गई।” ईवीएम में कथित सेटिंग को भाजपा की जीत का कारण बताते हुए सामना ने लिखा है, “भारतीय जनता पार्टी और उसके कामकाज के प्रति जनता में रोष है। इसके बावजूद वे जीत रहे हैं। इसके पीछे ईवीएम की सेटिंग है।”

शिवसेना का कहना है, “फिलहाल हमारा चुनाव आयोग सेव-गाठिया तथा ढोकला खाकर सुस्त पड़ गया है। उसे घोटाले नहीं दिखाई देते। उसे शिकायतें नहीं सुनाई पड़तीं।” प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए ‘सामना’ ने लिखा है , “रूस के पुतिन तथा चीन के शी चिनफिंग ने उम्र भर सत्ता में रहने की व्यवस्था लोकतांत्रिक तरीके से कर ली है। हिंदुस्तान में वैसी ही तैयारी शुरू हो गई है, पर वह संभव नहीं है।”

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