Wednesday, May 30, 2018

किसानों की आत्महत्याओं पर सरकार संवेदनहीन

सितारगंज/रुद्रपुर : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि अब तक प्रदेश में कर्ज के बोझ तले दबकर 11 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इसमें तराई के काश्तकारों की संख्या ज्यादा हैं। हर साल फसल अच्छी होने के बाद भी किसानों की आत्महत्या राष्ट्रीय चिंता का विषय होनी चाहिये। वर्ष 2019 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस इस पर विचार करेगी। रावत ग्राम बिज्टी में काश्तकार मुख्तार सिंह के कर्ज के चलते आत्महत्या करने के बाद परिवार को ढ़ाढस बंधाने को पहुंचे थे। उन्होंने परिजनों से मिलकर गोपनीय आर्थिक मदद की पेशकश की। बाद में पत्रकारों से वार्ता में रावत ने कहा कि देश में किसानों की स्थिति खराब हैं।

किसानों को हिम्मत नहीं हारनी चाहिये। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि केंद्र सरकार का कार्यकाल निराशाजनक रहा है। मोदी ने जो छह बड़े वायदे देशवासियों से किए थे, उनमें से एक भी वायदा उन्होंने पूरा नहीं किया। कहा कि किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं की घटनाओं पर प्रदेश सरकार पूरी तरह संवेदनहीन बनी हुई है। सरकार मृतक किसानों के परिजनों को आर्थिक सहायता देना तो दूर ऐसे किसानों के परिजनों के दुख को साझा करने भी सरकार के प्रतिनिधि नहीं जा रहे हैं।

रावत पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ के आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों के आत्महत्या के मामले में सरकार गंभीर नहीं है। कहा कि किसानों की आत्महत्या प्रदेश सरकार के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चिंता का विषय होना चाहिए। पत्रकार वार्ता में तिलकराज बेहड़, हिमांशु गाबा, जगदीश तनेजा, हरभजन सिंह विर्क, संजय जुनाजा आदि मौजूद थे।

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– रमेश, सुरेन्द्र

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