मुंबई मराठा राजनीति की एबीसीडी पढ़ाने वाले अपने चाचा और सुप्रीमो के फैसले के खिलाफ विद्रोह करके महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल लाने वाले अभी पार्टी में बने हुए हैं। इस बगावत के बाद आज तीसरा दिन और अभी भी उन्हें मनाने के लिए कोशिशें जारी हैं। सोमवार को उन्हें मनाने के लिए एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल पहुंचे हैं। सूत्रों के मुताबिक शरद पवार अपने इस दांव के जरिए दोहरा गेम खेल रहे हैं। उनकी कोशिश है कि 'सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।' महाराष्ट्र की राजनीति में हर पल घटनाक्रम बदलता नजर आ रहा है और एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस और बीजेपी+अजित पवार की ओर से एक-दूसरे को शह और मात का खेल जारी है। अजित पवार की मदद से बीजेपी जहां सरकार बनाने के बाद अब बहुमत हासिल करने की जद्दोजहद में जुटी हुई है तो विपक्षी खेमा अपने विधायकों को टूटने से बचाने में लगा हुआ है। बदलते घटनाक्रम में एनसीपी ने दावा किया है कि सोमवार सुबह तक उसके 54 में से 52 विधायक वापस लौट आए हैं। अजित पवार भी घुटने टेकने को तैयार नहीं इस बीच सियासी जंग में अजित पवार भी घुटने टेकने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। अजित पवार ने ट्वीट करके कहा है, 'मैं एनसीपी में ही हूं और शरद पवार हमारे नेता हैं। बीजेपी-एनसीपी का गठबंधन राज्य में अगले 5 सालों के लिए स्थिर सरकार देगा। राज्य और आम लोगों के कल्याण के लिए हमारी सरकार गंभीरता से काम करेगी।' अजित पवार के इस ट्वीट के बाद शरद पवार ने भी ट्वीट कर भतीजे पर हमला बोला है। अजित पवार के ट्वीट के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार ने ट्वीट कर कहा, 'बीजेपी के साथ गठजोड़ करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। एनसीपी ने आम राय से सरकार बनाने के लिए शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है। अजित का बयान झूठा और भ्रमित करने वाला है जिसका उद्देश्य लोगों के अंदर भ्रम और झूठी धारणा पैदा करना है।' अजित के तख्तापलट की कोशिश के बाद भी शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार को पार्टी के विधायक दल के नेता के पद से तो हटा दिया है लेकिन उन्हें अभी तक पार्टी से बर्खास्त नहीं किया है। दो वजहों से परहेज कर रहे शरद पवार राजनीतिक पंडितों के मुताबिक एनसीपी चीफ शरद पवार के इस दांव के पीछे दो वजहें हैं। शरद पवार चाहते हैं कि अजित पवार परिवार में वापस आ जाएं और परिवार की एकता बनी रहे। उन्हें लग रहा है कि अजित पवार को वह अगर वापस लाने में सफल हो जाते हैं तो बीजेपी का दांव फेल हो जाएगा। दूसरी वजह यह है कि अगर एनसीपी अजित पवार को निकालती है तो वह एमएलए बने रहेंगे और पार्टी को एक विधायक का नुकसान उठाना पड़ेगा। इसलिए शरद पवार इंतजार कर रहे हैं कि अजित पवार पार्टी छोड़ें और उन्हें बर्खास्त किया जा सके। इससे अजित पवार की विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी। बता दें कि अजित पवार बारामती विधानसभा सीट से विधायक हैं जो शरद पवार का गढ़ है।
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