मुंबई महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब यह तय हो गया कि बीजेपी और साथ मिलकर सरकार नहीं बनाने वाले हैं, तभी शिवसेना ने अपने 56 विधायकों को रंगशारदा होटल में शिफ्ट कर दिया था। सिर्फ शिवसेना के विधायक ही नहीं, एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों को भी खरीज-फरोख्त का शिकार होने से बचाने के लिए 'लग्जरी कैद' में भेज दिया गया था। इधर, तीनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं के बीच सियासी दांव-पेच की गतिविधि जारी थी तो उधर होटलों में बंद विधायकों की खातिरदारी के लिए शिवसेना ने पार्षदों को लगा रखा था। बताया गया कि हर विधायक को दो असिस्टेंट दिए गए थे, जो उनके कपड़ों से लेकर होममेड खानों और मेडिकल इमर्जेंसी से संबंधित जरूरतों को पूरी करने में मदद करते थे। इसके अलावा, शिवसेना के पार्षद भी कभी एमएलए हो जाने का सपना देखते हुए विधायकों की सेवा में लगे थे। विधायकों की सेवा में लगे पार्षद ठाणे के एक पार्षद ने इस बारे में बताते हुए कहा कि पिछले हफ्ते एक विधायक को मेडिकल इमर्जेंसी थी तो दो पार्षद डॉक्टरों को लेकर उनके कमरे में पहुंच गए। उन्होंने बताया कि इस दौरान अगर किसी विधायक को सलून भी जाना होता था तो हम दो पार्टी कार्यकर्ताओं को खास निर्देश देकर उनके साथ भेजते थे। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि उन्हें अपने विधायकों पर विश्वास नहीं है बल्कि कोई भी बीजेपी के आपराधिक चालों पर भरोसा नहीं कर सकता था। गौरतलब है कि बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना के विधायक रंगशारदा में दो दिनों तक रहे। यह होटल शिवसेना भवन से महज 4 किमी की दूरी पर था। इसके अलावा राजभवन से इसकी दूरी 16 किमी और विधानसभा से 19 किमी थी। हालांकि, इस होटल में सिर्फ 30 कमरे थे और एक कमरे में दो-दो विधायकों को ठहराया गया था। इसके अलावा होटल के कमरे साफ न होने की भी शिकायत की गई थी। कांग्रेस ने जयपुर भेजे विधायक इसके बाद सेना के विधायकों को 10 दिनों के लिए रिट्रीट होटल में ठहराया गया। बाद में उन्हें अंधेरी के लेमन ट्री होटल में शिफ्ट कर दिया गया। यहीं पर उन्हें खबर मिली कि देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार ने इस्तीफा दे दिया है। इस पूरे घटनाक्रम के बीच कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को जयपुर भेज दिया था। 23नवंबर को उन सभी विधायकों को मुंबई लाया गया और जेडब्ल्यू मेरियट होटल में ठहराया गया। यहां उनके साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण भी ठहरे हुए थे। एक हफ्ते के बाद 28 नवंबर को कांग्रेस विधायकों को यहां से कोलाबा के ताज होटल में शिफ्ट कर दिया गया। वरिष्ठ शिवसेना नेताओं को थी जिम्मेदारी वहीं, एनसीपी ने सबसे अंत में अपने विधायकों को होटल में शिफ्ट किया। पहले तो एनसीपी विधायकों को पवई के रेनेसां होटल में मूव किया गया लेकिन बाद में कुछ विधायकों की पुलिस अधिकारियों से झड़प होने के बाद उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया। इनमें से कुछ को कलीना के ग्रैंड हयात में और बाकी को बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के सोफिटेल में शिफ्ट किया गया। इस दौरान शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं अनिल परब, मिलिंद नार्वेकर, एकनाथ शिंदे, प्रताप सरनाइक और सुनील प्रभु को न सिर्फ शिवसेना बल्कि कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों के ठहरने आदि की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी दी गई थी। 'बीजेपी को शुक्रिया!' एनसीपी और कांग्रेस के कई विधायकों ने बाद में बताया कि वे शिवसेना के अरैंजमेंट से बहुत खुश हैं। विधायकों ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि सेना के पास ऐसे युवा और ऊर्जावान कार्यकर्ताओं की टीम है। एक विधायक ने कहा कि वास्तव में होटलों में ठहरने के दौरान एक तनावपूर्ण माहौल था लेकिन इसने हमें चुनावों की थकान को उतारने में मदद की। हमें इसके लिए अपने विरोधी दल (बीजेपी) का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसकी वजह से हमें इस तरह का मौका मिला।
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