Wednesday, November 27, 2019

सर्जरी कर डॉक्टरों ने 'की' को बनाया 'का'

अभिषेक गौतम, लखनऊ नेपाल की रहने वाली पांच साल की प्रीति (काल्पनिक नाम) जब भी बाजार जाती थी तो गुड़िया के बजाय खिलौना पिस्तौल खरीदने की जिद करती थी। माता-पिता फ्रॉक या लड़कियों वाले कपड़े दिलाते तो नाराज हो जाती और लड़कों वाले कपड़े खरीदने की जिद करती। बेटी की ऐसी हालत के उसके मां-पिता काफी परेशान थे। डॉक्टरों से सलाह ली तो पता चला कि प्रीति डिसऑर्डर ऑफ सेक्शुअलडिवेलपमेंट से पीड़ित है। आखिरकार एसजीपीजीआई (संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस) ने ऑपरेशन करके प्रीति को लड़के में बदल दिया। हालांकि मेल हार्मोंस के लिए उसे जीवन भर दवाएं खानी होंगी। हिचकते थे परिवार के लोग पीडियाट्रिक यूरॉलजी विभाग के प्रफेसर एमएस अंसारी ने बताया कि तीन साल उम्र से प्रीति के व्यवहार में बदलाव आने लगा था। वह लड़कों के साथ खेलती थी। बातचीत के दौरान खुद को पुलिंग शब्दों से संबोधित करती थी। परिवारजन उसे लड़कियों के बीच ले जाते तो असहज हो उठती और भाग जाती थी। इससे परेशान होकर परिवारीजन नेपाल के एक अस्पताल में ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। गोरखपुर से डॉक्टरों ने प्रीति को एसजीपीजीआई भेज दिया। करीब छह महीने पहले प्रीति पीडियाट्रिक यूरॉलजी विभाग पहुंची। हिचक के कारण परिवार के लोग दो साल इलाज से बचते रहे, लेकिन प्रीति की लगातार बदलती आदतों के कारण उन्होंने इलाज करवाने का निर्णय लिया। आठ घंटे तक चली सर्जरी प्रो. एमएस अंसारी ने बताया कि पिछले महीने सेक्शुअलअसाइनमेंट सर्जरी कर प्रीति का जननांग बदल दिया गया। सर्जरी में डॉ. एमएस अंसारी के आलवा डॉ. प्रियांक यादव, डॉ. सरिता शामिल हुए। डॉक्टर अंसारी के मुताबिक इस सर्जरी में केवल पचास हजार रुपये खर्च हुए। हालांकि किसी निजी अस्पताल में इसका खर्च 5 लाख रुपये के आसपास आता। ताजिंदगी चलेंगी दवाएं प्रो. अंसारी ने बताया कि प्रीति लड़की के बजाए अब लड़का है। लेकिन शरीर में मेल हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन की सामान्य मात्रा मेंटेंन करने के लिए उसे जीवन भर दवाएं खानी होंगी। हार्मोन लेवल मेंटेन रहा तो एक सामान्य पुरुष की तरह जीवन बिताएगा। इन लक्षणों का खयाल रखें -जैविक रूप से लड़की हो पर लड़कों जैसा व्यवहार करे -खुद को पुलिंग शब्दों से संबोधित करे -लड़कियों के बजाय लड़कों के साथ ज्यादा सहज महसूस करें -गुड़िया आदि के बजाय बंदूक, कार, बाइक आदि खिलौने ज्यादा पसंद करे नोट-डिसऑर्डर ऑफ सेक्शुअलफीमेल टु मेल व मेल टु फीमेल दोनों तरफ हो सकता, सिम्प्टम उसी हिसाब से बदल जाते हैं। (एनबीटी व्यूलड़का या लड़की होने से फर्क नहीं पड़ता। लेकिन लड़की होते हुए लड़कों जैसी बॉडी लैंग्वेज होना या इसका उलट, हमारा समाज स्वीकार नहीं करता। ऐसे बच्चों का हमेशा मजाक उड़ाया जाता है। ऐसे होना उनके दिमाग पर बहुत बुरा असर छोड़ता है। प्रकृति से हुई चूक को यदि चिकित्सा विज्ञान दुरुस्त कर सकता है तो अभिभावकों को मदद लेने में हिचकना नहीं चाहिए।)


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