Friday, November 29, 2019

ठाकरे राज में कहां गुम हैं उद्धव के बड़े भाई जयदेव?

मुंबई महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर एक शिवसैनिक को बैठाने का बालासाहेब से किया वादा उनके सबसे छोटे बेटे उद्धव ठाकरे ने निभा लिया। हमेशा राज्य की सियासत का रिमोट कंट्रोल अपने हाथ में रखने वाली शिवसेना ही सरकार भी चलाएगी। हालांकि, जब महाराष्ट्र समेत पूरे देश की निगाहें 'मातोश्री' पर टिकी थीं, इस घर के कई कोने अंधेरे में ही रहे। बालासाहेब के परिवार के जो दो अहम हिस्से कहीं दिखाई नहीं दिए, वे थे उद्धव के भाई और उनके परिवार। ठाकरे परिवार की दूसरी पीढ़ी का जिक्र होता है तो सबसे पहले उद्धव और राज ठाकरे का ही नाम आता है। राज ठाकरे बालासाहेब के भाई श्रीकांत के बेटे हैं और उद्धव को पार्टी की कमान सौंपने से आहत होकर उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली थी। इस बारे में तो सभी को पता है लेकिन कम ही लोग यह जानते हैं कि बालासाहेब के दो और भी बेटे थे- बिंदुमाधव ठाकरे और जयदेव। ऐक्सिडेंट में बड़े बेटे की मौत इसी मातोश्री में पूरा ठाकरे परिवार एक साथ रहा करता था लेकिन देखते-देखते सब बिखरने लगा। बालासाहेब के बड़े बेटे बिंदूमाधव ठाकरे की 1996 में एक कार ऐक्सिडेंट में मौत हो गई। ऐक्सिडेंट के दौरान बिंदु की पत्नी माधवी और बेटी नेहा कार में साथ थे। हादसे के बाद ऐसी अफवाहें उड़ने लगीं कि बिंदु की कार ऐक्सिडेंट कोई हादसा नहीं था। इस घटना के फौरन बाद माधवी ने नेहा और बेटे निहार के साथ घर छोड़ दिया। पोती की शादी पर भिजवाया गुलदस्ता इसके बाद ठाकरे परिवार का उनसे संपर्क नहीं रहा। यहां तक कि नेहा की शादी मातोश्री के नजदीक होने के बावजूद बालासाहेब या उद्धव के परिवार से कोई समारोह में नहीं पहुंचा। हालांकि, बालासाहेब ने पोती के लिए गुलदस्ता और चिट्ठी जरूर भेजी थी। नेहा की शादी का पूरा इंतजाम और कन्यादान राज ठाकरे ने किया। परिवार उन्हें ही सबसे बड़ा ठाकरे मानता है। इसलिए शादी के कार्ड राज की तरफ से ही भेजे गए। मंझले बेटे ने छोड़ा घर बालासाहेब के मंझले बेटे जयदेव के साथ रिश्ते भी खराब होने लगे थे। जयदेव अपनी पहली पत्नी जयश्री से अलग हो चुके थे। बालासाहेब का मानना था कि उनके अलग होने से परिवार पर काफी बुरा असर पड़ा था। जयदेव ने दूसरी शादी की लेकिन इस बार फिर उनके पत्नी स्मिता के साथ संबंध बिगड़ने लगे। इस बार दोनों के बीच राजनीति को लेकर दूरियां इतनी बढ़ गई थीं कि जयदेव ने ही मातोश्री छोड़ दिया। बहू को मिला ठाकरे परिवार का साथ दरअसल, जयदेव को राजनीति में दिलचस्पी नहीं थी लेकिन स्मिता को थी। इस बात को लेकर पिता और बेटे के बीच मतभेद हो गए। जयदेव ने कहा था कि उनकी मां मीनाताई की मौत के बाद स्मिता की राजनीति में आने की महत्वाकांक्षा बढ़ने लगी थी। वह स्मिता को समझाते थे कि वह ऐसे उन्हें और अपने बेटों को नजरअंदाज कर रही हैं लेकिन उन्हें बालासाहेब का समर्थन था। आखिरकार, स्मिता अपने बेटों- राहुल और ऐश्वर्य को लेकर मातोश्रो में रुक गईं जबकि जयदेव अब बांद्रा ईस्ट में तीसरी पत्नी अनुराधा और बेटी माधुरी के साथ कलानगर में रहते हैं। जब बेटे से पूछा- 'मैं चालू हूं?' घर छोड़ने के बाद एक बार जब जयदेव बीमार पड़े तो बालासाहेब उनसे मिलने पहले अस्पताल गए और फिर कलानगर में उनके घर गए। इस दौरान दोनों के बीच हल्के-फुल्के पल भी गुजरे। जयदेव ने अपने घर में स्मोक करते हुए कुछ लोगों की तस्वीरों का कलेक्शन रखा था। उनमें से एक पंडित नेहरू की ओर तस्वीर की ओर इशारा किया और कहा- 'वह एक चालू आदमी थे।' इस पर बालासाहेब ने अपनी तस्वीर की ओर इशारा करते हुए पूछा, 'इस आदमी का क्या? क्या वह भी चालू है?' इस पर जयदेव ने कहा, 'नहीं। इसकी वजह से कई मराठी चूल्हे चालू हैं।' संपत्ति को लेकर विवाद बालासाहेब के निधन के बाद उनकी संपत्ति को लेकर विवाद रहा। बालासाहेब ने 13 दिसंबर, 2011 को अपनी वसीयत में लगभग सबकुछ उद्धव और उनके परिवार के नाम कर दिया था। उद्धव के अलावा जायदाद में सिर्फ घर की पहली मंजिल स्मिता के बेटे ऐश्वर्य को मिली है। उसके अलावा मातोश्री और बाकी संपत्तियां उद्धव और परिवार के नाम पर कर दीं। इस पर जयदेव ने कोर्ट में केस दाखिल कर दावा किया कि बालासाहेब ने जिस वक्त वसीयत बनाई थी, उनकी सेहत सही नहीं थी। इसलिए वसीयत को नहीं माना जाना चाहिए। वसीयत में जयदेव के दूसरे बेटे राहुल और बिंदुमाधव के बच्चों को भी हिस्सा नहीं दिया गया है। बड़े बेटे संग शिवसेना संभाल रहे उद्धव उद्धव ठाकरे का परिवार बाकी दोनों बेटों के मुकाबले हमेशा सत्ते के केंद्र में रहा। अपनी जिंदगी के पहले 40 साल एकदम अनजान रहे उद्धव 2003 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद पूरा कामकाज संभालते रहे। उद्धव और उनकी पत्नी रश्मि के बड़े बेटे आदित्य युवा सेना के अध्यक्ष रहे और हाल के विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ने वाले ठाकरे भी बने। उन्होंने मुंबई की वर्ली सीट से जीत दर्ज की। उद्धव के छोटे बेटे तेजस राजनीति से दूर रहते हैं। इक्का-दुक्का चुनावी सभाओं में नजर आए तेजस बाबा और पिता की तरह वन्यजीवों के नजदीक हैं और एक सांप की प्रजाति की खोज भी कर चुके हैं।


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