Thursday, November 28, 2019

अबकी बार प्याज हुई 100 रुपये के पार!

नई दिल्ली देश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा है कि प्याज की आसमान छू रही कीमतों के लिए केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने चेतावनी दी यदि प्याज की बढ़ी हुई कीमतों के लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो कांग्रेस कार्यकर्ता केन्द्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान का घेराव करेंगे। दिल्ली में प्याज की कीमतें 120 रुपये को भी पार कर गई हैं। उन्होंने प्याजों की कीमतों पर तंज कसते हुए कहा कि डॉलर सस्ता है और प्याज मंहगा है। दिल्ली में प्याज व सब्जियों की कीमतें इसलिए भी और ज्यादा हैं क्योंकि केंद्र व दिल्ली सरकार की जमाखोरों से सांठगांठ है। आज दिल्ली के लोग सस्ते प्याज की दुकानों को ढूंढ रहे हैं। मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने दोनों सरकारों से दिल्ली के लोगों को प्याज व सब्जियां उपलब्ध करानी की मांग की। प्याज की मार से जनता ही नहीं सरकार भी लाचार प्याज के बेकाबू होते दामों के आगे जनता के बाद अब सरकार भी लाचार नजर आने लगी है। प्याज की किल्लत के कारण देश के विभिन्न इलाकों में इसके रिटेल रेट 80 से 120 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं और सरकारी संस्थानों की ओर से भी अब प्याज की रियायती दामों पर बिक्री नहीं की जा रही है। इस साल खरीफ सीजन के प्याज की फसल खराब होने के कारण अब सारी उम्मीदें आयात पर टिक गई हैं। सितंबर में प्याज के खुदरा रेट 50-60 रुपये किलो के आसपास थे। गुरुवार को दिल्ली में प्याज के रिटेल दाम 80 से 100 रुपये किलो रहे, तो चेन्नै, मुंबई, विजयवाड़ा में यह 120 रुपये किलो तक बिका। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक, हैदराबाद में रेट 100 रुपये तो पटना में 82 और शिमला में 80 रुपये रहा। देश में प्याज की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज के दामों में लगातार तेजी आ रही है। इससे पहले 2013 में प्याज के दाम 100 रुपये किलो पर पहुंच गए थे। इसके कारण यूपीए सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। प्याज कारोबारियों का कहना है कि आवक कम होने से रेट बढ़ रहे हैं। इसके अलावा जिन कारोबारियों के पास प्याज का पुराना स्टॉक है, वह भी इसकी अधिक से अधिक कीमत वसूलने की कोशिश कर रहे हैं। क्यों महंगी हुई प्याज इस साल मॉनसून सीजन के दौरान कई राज्यों में बहुत ज्यादा बारिश हुई। इससे प्याज की फसल खराब हो गई। बारिश के कारण कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों में फसल को 75 से 85 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा। सूत्र कहते हैं कि सरकार ने हालात को भांपने में देरी की और समय रहते प्याज के निर्यात पर रोक नहीं लगाई। इसके साथ ही उसने रबी सीजन में 500 करोड़ रुपये के ऑपरेशन ग्रीन फंड से पर्याप्त मात्रा में प्याज नहीं खरीदा। प्याज के आयात का ऑर्डर देने में भी उसने देरी की। देश में प्याज की भारी मांग की जानकारी होने के बावजूद पहले सिर्फ 4500 टन प्याज आयात किया गया। इससे बात न बनती देख अब हाल में ही एक लाख टन प्याज के आयात का ऑर्डर दिया गया है। माना जा रहा है कि यह प्याज दिसंबर के दूसरे हफ्ते तक भारत पहुंचेगा और उसके बाद हालात कुछ बेहतर होने के आसार हैं।


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