मुंबई महाराष्ट्र में ठाकरे राज के साथ ही देश की राजनीति नई करवट लेती दिख रही है। चौंकाने वाले सियासी उठापटक के बाद ने मुख्यमंत्री की कमान संभाल ली है। फ्लोर टेस्ट में बहुमत (169 विधायकों का समर्थन) और स्पीकर पद पर नाना पटोले के निर्विरोध निर्वाचन के जरिए महाविकास अघाड़ी (शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी अलायंस) ने अपनी ताकत का परिचय कराया है। हालांकि, यह सवाल अब भी उठ रहा है कि आखिर चुनाव में गठबंधन के रूप में बहुमत पाने के बाद भी फडणवीस कहां चूक गए? अपनों के तीखे सवाल से जूझते फडणवीस पर एक बार फिर शिवसेना के प्रवक्ता ने तीखा तंज कसा है। राउत ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के अपने कॉलम 'रोखठोक' में लिखा कि फडणवीस की सत्ता हासिल करने की जल्दबाजी और बचकानी टिप्पणियां प्रदेश में बीजेपी को ले डूबीं और उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ गया। राउत ने दावा किया कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के साथ आने से महाराष्ट्र में जो हुआ वह देश को भी स्वीकार है। 'भीड़ तंत्र के आगे नहीं झुका महाराष्ट्र' बिना किसी का नाम लिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर तीखा हमला करते हुए राउत ने कहा कि महाराष्ट्र, दिल्ली की तरह चल रहे 'भीड़ तंत्र' के आगे नहीं झुका। अहम यह है कि उद्धव ठाकरे मोदी-शाह के दबदबे को खत्म कर सत्ता में आए। राउत ने भरोसा जताया कि उद्धव सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। राउत ने कहा, 'मुझे यह देखकर मजा आ रहा है कि जो लोग अजित पवार के फडणवीस के साथ गठजोड़ को शरद पवार की पहले से तय योजना बता रहे थे, वह अब महाविकास आघाड़ी सरकार बनने के बाद एनसीपी प्रमुख के आगे नतमस्तक हो रहे हैं।' विधानसभा चुनाव के दौरान फडणवीस ने कहा था कि राज्य में कोई विपक्षी दल नहीं बचेगा और शरद पवार का काल खत्म हो रहा है। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया था कि प्रकाश आंबेडकर का वंचित बहुजन आघाड़ी मुख्य विपक्षी दल होगा। यह भी पढ़ेंः 'वरिष्ठ नेताओं पर भरोसा से फडणवीस की राजनीति तबाह' राउत ने कहा कि अपने इन्हीं बचकानी टिप्पणियों की वजह से वह (फडणवीस) खुद विपक्षी नेता बन गए। फडणवीस ने कहा था कि वह वापस लौटेंगे, लेकिन सत्ता में आने की उनकी जल्दबाजी 80 घंटे के भीतर बीजेपी को ले डूबी। जरूरत से अधिक आत्मविश्वास और उनके (फडणवीस) दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं पर भरोसे ने उनकी राजनीति तबाह कर दी। शिवसेना नेता ने कहा कि पिछले महीने के घटनाक्रम 'सिंहासन' फिल्म की नई पटकथा जैसी लगती है। राउत सिंहासन नाम साल 1979 में आई मराठी फिल्म का जिक्र कर रहे थे, जो दिवंगत लेखक अरुण संधू के उपन्यास 'सिंहासन' और 'मुंबई दिनांक' पर आधारित थी। 'गवर्नर कोश्यारी ने नहीं निभाया वादा'राउत ने कहा कि महाराष्ट्र राज्यपाल के कार्यालय ने फडणवीस और एनसीपी नेता अजित पवार की 80 घंटे की सरकार में खलनायक की भूमिका निभाई। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक बार मुझसे कहा था कि वह संविधान की रूपरेखा के इतर जाकर कुछ भी नहीं करेंगे, लेकिन बाद में उन्होंने जल्दबाजी में और अजित पवार को शपथ दिला दी। यह भी पढ़ेंः 'अजित पवार की बेचैनी से अलायंस को फायदा' राज्यसभा सांसद ने कहा कि ऐसा लगता है कि आलाकमान से मिले आदेश ने बड़ी भूमिका निभाई। बीजेपी को समर्थन देने की अजित पवार की बेचैनी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को और नजदीक लेकर गई और उन्होंने गठबंधन बनाया। उन्होंने कहा कि इससे बगावत करने वाले एनसीपी के अन्य विधायकों पर भी दबाव बना और हर किसी के शरद पवार के पास लौटने से उनके भतीजे अजित पवार भी लौट आए। शरद पवार की एक बार खुलकर तारीफ राउत ने कहा कि अगर शरद पवार आगे नहीं आते तो यह गठबंधन कभी नहीं हो पाता। कांग्रेस में हर किसी को शिवसेना से हाथ मिलाने को लेकर संशय था। शरद पवार ने ही सोनिया गांधी से कहा कि शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ मित्रवत संबंध थे। शिवसेना ने देश में आपातकाल के बाद हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था। शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी का भी समर्थन किया था। शिवसेना नेता ने कहा कि मुंबई में हिंदी भाषी समुदाय भी शिवसेना को वोट देता है इसलिए पार्टी शहर के नगर निकाय चुनाव जीतती आ रही है। शरद पवार ने यह भी सोनिया गांधी को बताया।
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