मुंबई महाराष्ट्र की के अस्थिर होने की खबरों के बीच एक बार फिर से के सदस्य दलों में एकजुटता के दृश्य दिखने वाले हैं। राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सत्ता से दूर भारतीय जनता पार्टी के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है। प्रदेश के विधान परिषद की 12 सीटों के लिए गठबंधन सरकार ने 12 लोगों के नाम की सिफारिश राज्यपाल से की है। एमएलसी मनोनयन के लिए भेजे गए उम्मीदवारों के नाम में तीनों दलों के 4-4 उम्मीदवार हैं। बता दें कि प्रदेश सरकार के सुझाव पर राज्यपाल विधानपरिषद की 12 सीटों पर प्रत्याशियों का मनोनयन करते हैं। गठबंधन के नेताओं ने बताया कि इन 12 उम्मीदवारों का नाम राज्यपाल के पास भेजा जाना उन तीन कारकों में से एक है, जिसने प्रदेश बीजेपी को परेशान कर रखा है। बीजेपी इससे लगातार खीझ रही है। ऐसे में बार-बार प्रदेश सरकार की अस्थिरता की अफवाह फैलाने का मतलब है कि बीजेपी अपने आप को बहुत लाचार महसूस कर रही है। गौरतलब है कि हाल ही में कई प्रदेशों में गैर-एनडीए सरकारों को गिराने में बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन इस मामले में पूरी तरह से सतर्क है और मुख्य विपक्षी पार्टी की इस दिशा में किए गए प्रयासों को लगातार विफल करने में सफल रही है। सूत्रों की माने तो नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस अपनी ही पार्टी के भीतर फूट के संकट से परेशान हैं। पार्टी के भीतर ब्राह्मण और मराठा ऐंगल को लेकर दोफाड़ हो चुका है। बीजेपी नेतृत्व पर संकटः राउत शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि गठबंधन सरकार बहुत आराम से काम कर रही है। वास्तविक संकट तो देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व पर है। वे लोग चाहे जितना छिपाने की कोशिश कर लें, उनकी आंतरिक कलह खुलकर सामने आ ही जाती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नितिन राउत ने भी संजय राउत की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि फडणवीस थक गए हैं और सत्ता को लेकर अपने लालच के कारण अधीर भी हो गए हैं। इसके अलावा बीजेपी की आंतरिक कलह से निपटने में भी असमर्थ रहे हैं। राउत ने कहा कि फडणवीस को अब थोड़ा यथार्थवादी होना चाहिए और कोविड-19 के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की लड़ाई में उसका साथ देना चाहिए। यह खबर अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां करें
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