लखनऊ देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जेल में हैं लेकिन अध्यक्ष की ‘राजनैतिक गिरफ्तारी’ के खिलाफ पार्टी नेताओं में न तो आक्रोश दिख रहा है न ही जमीन पर कोई ठोस विरोध दिखाई दे रहा है। खानापूर्ति के नाम पर गिरफ्तारी का विरोध कथित प्रदर्शनों और प्रेस कॉन्फ्रेंस तक ही सीमित दिख रहा है। विरोधी दलों की बात तो दूर, अपने प्रदेश अध्यक्ष की गिरफ्तारी पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी का एक बयान भी नहीं आया। हां, ने विरोध जरूर जताया, लेकिन वह भी ट्वीट के जरिए। चिट्ठी लिखी संदीप सिंह ने, जेल गए लल्लू वैसे पूरे घटनाक्रम पर नजर डालें तो कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू का कोई विशेष रोल ही नहीं दिखता। विरोध कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राज्य सरकार के बीच बसों को लेकर शुरू हुआ, जिसमें प्रियंका गांधी की तरफ से उनके निजी सचिव संदीप सिंह सरकार को चिट्ठी लिखकर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे थे। बसों के जिस फर्जी दस्तावेज को लेकर लखनऊ में 20 मई को एफआईआर हुई, वह संदीप सिंह की ओर से सरकार को भेजी गई थी। लेकिन नामजद संदीप सिंह के साथ लल्लू को भी किया गया। कांग्रेस की बसें जब आगरा सीमा पर रोकी गईं, तो लल्लू वहां धरने पर बैठे और आगरा पुलिस ने सिर्फ उन्हें गिरफ्तार किया। अगले दिन उन्हें जमानत मिल गई, लेकिन लखनऊ पुलिस ने यहां दर्ज एफआईआर के मामले में उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जबकि आगरा में लल्लू की गिरफ्तारी के दौरान संदीप सिंह भी मौजूद थे। लेकिन प्रशासन ने संदीप सिंह की मौजूदगी को अनदेखा कर दिया। वरिष्ठों की अनदेखी भी अहम वजह पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अजय कुमार लल्लू के अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं को कोई तवज्जो नहीं मिली। दिवंगत रामकृष्ण द्विवेदी सहित कई वरिष्ठ नेताओं को कथित रूप से पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त बता कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इससे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा तबका वर्तमान प्रदेश नेतृत्व से असंतुष्ट होकर निष्क्रिय हो गया। दूसरे दलों में भी हैरानी प्रदेश अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद भी कांग्रेसी नेताओं में आक्रोश न होने से विरोधी दल भी हैरान हैं। समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि यदि उनकी पार्टी के अध्यक्ष को इस तरह गिरफ्तार किया गया हो, तो उनकी पार्टी ईंट से ईंट बजा देती। हम कांग्रेसी नेताओं की तरह घर में न बैठे रहते। हालांकि बीजेपी सरकार में है, लेकिन उनके एक नेता का कहना है कि यदि हमारे अध्यक्ष की गिरफ्तारी होती, तो अब तक हम लोग यूपी की जेलें भर देते।
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