नई दिल्ली जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (जेएनयूएसयू) में इस बार यूनाइटेड पैनल में कौन-कौन होगा, इसका जवाब उलझन और मतभेद में है। लेफ्ट पैनल में पिछली बार सीपीआई-एमएल की स्टूडेंट्स विंग ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा), सीपीआई-एम की विंग स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), सीपीआई की स्टूडेंट्स विंग ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) चारों साथ थे मगर इस बार इन स्टूडेंट्स विंग की एक दूसरे से नजर आ रही है। सूत्रों का कहना है कि आइसा और एसएफआई के बीच में कैंडिडेट को लेकर मतभेद हैं। आइसा जिस को प्रेजिडेंट पोस्ट पर चाहता है कि, उसे एसएफआई नहीं चाहता। हालांकि, इन विंग्स के लीडर्स इस मसले पर साफ कुछ नहीं कह रहे हैं मगर कैंपस में स्टूडेंट्स का कहना है कि प्रेजिडेंट कैंडिडेट में इनके बीच इन दिनों नाराजगी चल रही है। आइसा के लीडर्स अपने कैंडिडेट को हर बार की तरह प्रेजिडेंट पोस्ट पर चाहते हैं। आइसा के एक सूत्र का कहना है कि जिस कैंडिडेट को वो प्रेजिडेंट पोस्ट पर चाहते हैं, वो पिछले साल स्कूल के जीबीएम का चुनाव अच्छे वोटों से जीते थे। मगर एसएफआई का कहना है कि प्रेजिडेंट पोस्ट पर दलित या माइनॉरिटी स्टूडेंट लाने की जरूरत नहीं। एसएफआई उसे जनरल सेक्रेटरी लड़ाने के लिए कह रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि आइसा के साथ ना ही एआईएसएफ है ना ही डीएसएफ। एआईएसएफ प्रेजिडेंट पोस्ट पर अपना कैंडिडेट चाहता है, मगर आइसा उसे नहीं चाहता। सूत्रों का कहना है कि आइसा के लीडर्स मान रहे हैं कि तीनों लेफ्ट विंग उसे किनारे करने की सोच रहे हैं, जबकि आइसा का कैंपस में वोट शेयर सबसे ज्यादा है। हालांकि, एसएफआई लीडर दीपाली का कहना है कि चारों लेफ्ट विंग यूनाइटेड पैनल के रूप में एबीवीपी से लड़ेंगी। आइसा से मतभेद के सवाल पर उनका कहना है कि प्रेजिडेंट पोस्ट को लेकर अभी बातें चल रही हैं, मीटिंग चल रही हैं और अभी कुछ फाइनल नहीं हुआ है। आइसा लीडर और जेएनएसयू प्रेजिडेंट एन साई बालाजी का कहना है कि यूनिटी बरकरार रखेगी, यूनिटी को आइसा नहीं तोड़ेगा ना टूटने देगा मगर यूनिटी उसके ऊपर भी नहीं बनाई जाएगी। आइसा प्रेजिडेंट पोस्ट पर रहेगी, यह पोस्ट यूनियन को खींचता है। आइसा सबसे मजबूत संगठन है, जो हर रोज कैंपस में एबीवीपी को टक्कर दे रहा है। जेएनयूएसयू की चार पोस्ट के लिए हर विंग से कैंडिडेट चुनने का मसला उलझा हुआ है। सूत्रों का यह भी कहना है कि मतभेद इतना है कि आइसा बापसा के साथ लड़ने की भी सोच रहा है। आइसा 2016 से पहले चारों पोस्ट पर था। मगर लेफ्ट के लिए सबसे खराब माने जाने वाले साल में 2016-17 चुनाव में लेफ्ट ने पैनल बनाया और आइसा, एसएफआई ने मिलकर एबीवीपी को टक्कर दी। दोनों ने दो-दो सीटों पर अपने कैंडिडेट लिए और जीते भी। 2017-18 में यूनाइटेड पैनल में आइसा, एसएफआई और डीएसएफ थे और आइसा के नाम दो सीटें रहीं। 2018-19 में आइसा, एसएफआई, डीएसएफ के साथ एआईएसएफ जुड़ा और आइसा ने एक सीट लड़ी और जीती भी।
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