हम जितना अपने आपसे जुड़ेंगे आत्ममंथन करेंगे खुद की खूबियों और खामियों दोनों को जान सकेंगे और संकट चाहे कितना भी बड़ा हो उससे उबर सकते हैं। जिन्होंने आपदा को अवसर माना उन्होंने खुद की जिम्मेदारी ली। बाहर से उम्मीद नहीं की आत्ममंथन किया और आगे बढ़ते गए।
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