चुनौतियां हमारे जीवन में केवल व्यवधान ही नहीं डालतीं अपितु वह हमारी ताकत सामाजिक एवं राष्ट्रीय चारित्र और संकल्प-शक्ति की परीक्षा भी लेती हैं। वह हमें उन आंतरिक शक्तियों की अनुभूति भी करा जाती हैं जो किसी व्यक्ति-समाज-राष्ट्र के भीतर होती तो हैं।
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