मुंबईजुलाई 2020 तक वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के मुआवजे के लिए केंद्र पर महाराष्ट्र का 22,534 करोड़ रुपये का बकाया है। अगर यह राशि समय पर भुगतान के बिना बढ़ती रही, तो यह दो साल में 1 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। यह बात उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने गुरुवार को की 41वीं बैठक में भाग लेते हुए कही। निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लेते हुए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा समय पर जीएसटी मुआवजा नहीं मिलने के कारण सभी राज्य वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहा है। चूंकि वर्तमान में देश के लगभग सभी राज्य कोरोना संकट से जूझ रहे हैं, इसलिए केंद्र से अधिक धन की आवश्यकता है। केंद्र ने जिम्मेदारी ली है कि वह राज्यों को समय पर जीएसटी के मुआवजे का भुगतान करेगा। पवार ने कहा कि केंद्र को इसके लिए कर्ज लेना चाहिए, क्योंकि वे राज्यों की तुलना में कम दर पर ऋण प्राप्त कर सकता हैं। उपमुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र और अन्य राज्यों का बचाव करते हुए स्पष्ट किया कि वित्तीय बाधाओं के कारण राज्यों के लिए ऋण लेना संभव नहीं है। जबकि केंद्र सरकार को कम ब्याज पर कर्ज मिल सकता है। यदि राज्य उच्च ब्याज दरों पर उधार लेते हैं, तो यह उपकर को अनावश्यक रूप से प्रभावित करेगा और अंतिम बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। उन्होंने इस तथ्य की ओर सभी का ध्यान आकृष्ट किया कि यदि राज्य खुले बाजार से ऋण लेने की कोशिश करते हैं, तो आशंका है कि ब्याज दरें बढ़ जाएंगी और ऋण प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा। अजित पवार ने जीएसटी काउंसिल को सुझाव दिया कि राज्यों को जीएसटी के नुकसान की भरपाई के लिए लगाया गया उपकर पांच साल के लिए यानी 2022 तक ही वैध है। उन्होंने मांग की कि इस समय सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। पवार ने जोर देकर कहा कि राज्यों से समय पर धनराशि का भुगतान करने के लिए केंद्र से ऋण लेना चाहिए और राज्यों को राशि का भुगतान करना चाहिए और राज्यों को दी गई राशि को उपकर की अवधि बढ़ाकर वसूल किया जाना चाहिए और उपकर की अवधि पूरी वसूली तक बढ़ाई जानी चाहिए। पवार ने कहा कि देश के सबसे उन्नत और अग्रणी राज्य महाराष्ट्र के सामने, कोरोना के कारण होने वाला आर्थिक संकट अभूतपूर्व है, हम इस संकट से उबरने के लिए दृढ़ हैं और ऐसा करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। परंतु केंद्र सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। चूंकि जीएसटी राज्यों की आय का मुख्य स्रोत है, इसलिए उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह राज्यों को समय पर राशि का भुगतान करे। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि बड़े भाई की भूमिका निभाकर महाराष्ट्र और अन्य राज्यों को वित्तीय संकट से बाहर निकालना केंद्र की जिम्मेदारी और कर्तव्य है।
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