मुंबई सामान्य दिनों में जीआरपी मोबाइल चोरी या स्टेशनों पर हुई दुर्घटनाओं के मामलों के इतनी व्यस्त रहती है कि पुराने मामलों की तहकीकात के लिए भरपूर वक्त नहीं मिलता। अब पिछले पांच महीनों से मुंबई के स्टेशन लगभग खाली पड़े हैं, तो जीआरपी भी पुराने मामलों की फाइलें बंद करने में जुट गई। इसी सप्ताह ज्योति नाम की एक महिला को 26 साल बाद सोने की चेन जीआरपी ने लौटाई। अब ऐसा ही एक और केस जीआरपी ने सुलझाया है। मामला शिकायतकर्ता का पता बदल जाने का है, जिसे ढूंढने में पुलिस को चार साल लग गए। ये है पूरी कहानी3 दिसंबर, 1991 को चर्चगेट अप लोकल के महिला डिब्बे में यात्रा कर रही मंजुला शाह का किसी ने मंगलसूत्र चुरा लिया था। इस बात का पता चलते ही मंजुला ने जिनकी उम्र अब लगभग 80 साल हो चुकी है, ने मुंबई सेंट्रल जीआरपी थाने में शिकायत दर्ज कराई। मंजुला ने मंगलसूत्र वापस मिलने की उम्मीद छोड़ दी थी। इसी बीच जीआरपी ने 16 दिसंबर, 1991 को इस मामले में फातिमा नाम की एक महिला को पकड़ा और उससे मंगलसूत्र बरामद किया। उस जमाने में मोबाइल फोन या संपर्क साधने का और कोई जरिया नहीं होने के कारण पुलिस ने बरामद माल अपनी कस्टडी में ले लिया। इस दौरान पुलिस शिकायतकर्ता के फॉलोअप का इंतजार करती रही। 14 साल तक कोर्ट में रहा मंगलसूत्रपुलिस ने बरामद किया हुआ मंगलसूत्र कोर्ट में जमा करा दिया। 2015 में कोर्ट ने इसे शिकायतकर्ता को लौटाने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने शिकायतकर्ता द्वारा लिखाए गए पते पर तहकीकात की, तो वहां कोई नई इमारत बन चुकी थी। मंजुला रसिक लाल शाह का कोई पता न चला। मंजुला तो क्या वहां रहने वाले कई पुराने लोग शिफ्ट हो चुके थे। बहरहाल, कई बार चक्कर काटने के बाद पुलिस को कहीं मंजुला की बेटी रीमा का पता चल गया और फिर वहां से मंजुला का नया एड्रेस मिला। पुणे पहुंची पुलिसरीमा के अनुसार, उनकी मां 15 साल पहले पुणे के शनिवार पेठ में शिफ्ट हो चुकी थीं। मंजुला के पति 81 साल के हो चुके हैं और कोरोना काल में उनका मुंबई आना संभव नहीं। ये बात जानकर खुद जीआरपी पुणे गई। पुलिस नाइक श्याम सोनवने और कॉन्स्टेबल संतोष कांबले शनिवार पेठ पहुंचे। घर पर मंजुला और उनके पति रसिक लाल शाह थे, जिन्हें अचानक सवा लाख रुपए का मंगलसूत्र मिलने से खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
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