लखनऊ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दूसरे राज्यों से वापस लौटने वाले पांच लाख से अधिक मजदूरों को नौकरी और रोजगार देने की तैयारियों में जुटी है। इस बीच इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि ये मजदूर लॉकडाउन के बाद भी उस शहर में वापसी नहीं करना चाहते हैं, जहां वे काम करते थे। यह संभावना अगर यह सच है तो महाराष्ट्र के औद्योगिक शहरों के साथ-साथ अन्य कई स्थानों पर मजदूरों की उपलब्धता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'अनुमान यह है कि मजदूर उन कस्बों में वापस नहीं जाएंगे जहां वे बीते लंबे समय से काम कर रहे थे। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या उन्हें यहां लाभकारी विकल्प मिलते हैं। वे वहां के उद्योगों में लगभग 8,000-10,000 रुपये प्रति माह कमाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की मजदूरी मिलना मुश्किल है।' उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार के अवसर पैदा कर रही है, अगर ये मजदूर वापस चले जाते हैं तो इन अवसरों का लाभ स्थानीय लोग उठा सकेंगे। यूपी सरकार ने बनाई है पांच सदस्यीय कमिटी आपको बता दें कि यूपी सरकार ने कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस कमिटी में प्रमुख सचिव ग्राम विकास एवं पंचायतीराज, प्रमुख सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, प्रमुख सचिव कौशल विकास शामिल हैं। योगी सरकार की यह कमिटी ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त नौकरियों व रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की रणनीति पर काम कर रही है। बीते 45 दिनों में उत्तर प्रदेश वापस आने वाले मजदूरों और कर्मचारियों को प्रदेश में ही नौकरी दिलाने के लिए यह कमिटी काम कर रही है। मनरेगा के तहत मिलेगा जॉब कार्ड! एक अधिकारी ने कहा, 'हमने उन मजदूरों की स्किल्स और इन्ट्रेस्ट का सर्वे करना शुरू कर दिया है। अस्किल्ड मजदूरों को मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) जॉब कार्ड दिए जा सकते हैं। यदि वे चाहें तो श्रमिकों को उनका काम (इंटरप्राइज) स्थापित करने में सहायता प्रदान की जाएगी।'
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