लखनऊ एक ओर जहां देश में का खतरा बढ़ता जा रहा है, वहीं उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा लिए गए कुछ फैसले अन्य राज्यों के लिए न केवल नजीर बन गए हैं बल्कि अप्रत्यक्ष तौर पर दबाव भी बना रहे हैं। कोरोना से लड़ाई में सीएम योगी ने जो मॉडल बनाया, उसमें कई ऐसे फैसले शामिल थे, जिनके बारे में अन्य राज्यों में सोचा तक नहीं जा रहा था। पूरे देश में सबसे ज्यादा आबादी होने के बावजूद जिस तरह से यूपी मॉडल के तहत कोरोना को कंट्रोल करने के साथ-साथ जिस तरह से मजदूरों-छात्रों-बुजुर्गों समेत आम जनता का ख्याल रखा जा रहा है, उसकी सराहना करने से कोई नहीं चूक रहा। उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। यह भी माना जाता है कि यूपी और बिहार के लोगों ने ही महाराष्ट्र को आर्थिक संभावनाओं से संपन्न राज्य बनाया है। इसके अलावा राजस्थान के कोटा में जाकर इंजिनियरिंग या मेडिकल की तैयारी करने वाले सबसे ज्यादा छात्र भी इन्हीं राज्यों के होते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान ही ऐसे राज्य हैं, जहां के लोग देश के अलग-अलग हिस्से में फैले हुए हैं। वहीं महाराष्ट्र, खासकर मुंबई के बारे में कहा जाता है कि यह शहर कभी नहीं थमता, और शायद इसी सिद्धांत पर चलते रहने के कारण वहां लॉकडाउन की गंभीरता को नहीं समझा गया और राज्य में कोरोना पॉजिटिव केस लगातार बढ़ते गए। सीएम योगी ने जिस तरह से उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए बड़े फैसले लिए उनसे इन राज्यों की सरकारों के कोरोना से लड़ाई के मॉडल और सरकारों की गंभीरता पर सवाल खड़ा हो गया है। पहले कोटा में फंसे स्टूडेंट्स आए, अब मजदूरों की घर वापसी हाल ही में सीएम योगी ने बेहद गुपचुप तरीके से राजस्थान के कोटा में फंसे यूपी के छात्रों को प्रदेश में वापस लाने की योजना बनाई। मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इन छात्रों को वापस लाने के लिए जो प्लान तैयार किया गया था, उसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों को उन छात्रों की स्क्रीनिंग से लेकर सूबे में सुरक्षित तरीके से वापस लाने की जिम्मेदारी दी गई थी। साथ ही सीएम ने यह निर्देश भी दिए थे कि इस प्लान को लेकर किसी भी तरह की डिटेल्स लीक न की जाएं। जब यह खबर लीक हुई तो बिहार के सीएम नीतीश ने राजस्थान सरकार से यूपी की बसों को राज्य में न जाने देने की अपील भी की थी। वहीं अब राजस्थान में फंसे बिहार के स्टूडेंट्स भी खुद को वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं। कई छात्र तो इसे लेकर अनशन पर भी बैठ गए हैं। पढ़ें: छात्रों को वापस लाने के बाद अब सीएम योगी ने दूसरे राज्यों में फंसे उत्तर प्रदेश के जिन मजदूरों ने क्वारंटीन की अवधि पूरी कर ली है, उन्हें वापस लाने की घोषणा कर दी है। योगी सरकार पर विपक्ष लगातार इस बात को लेकर हमलावर हो रहा था कि यूपी सरकार मजदूरों का ख्याल नहीं कर रही है, लेकिन इस फैसले से सीएम योगी ने उनका मुंह भी बंद कर दिया। टीम-11 बनी नजीर देश में कोरोना ने अपने पैर पसारने शुरू ही किए थे कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस खतरे को भांप लिया औऱ बेहद गंभीरता से उसपर काम करना शुरू किया। सीएम योगी ने कई विभागों को जोड़कर 11 कमिटियां बनाईं। इन कमिटियों में सरकार के करीब दो दर्जन वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए। आम लोगों से जुड़ी हर जरूरत का ख्याल रखने के लिए बनाई गई इन कमिटियों के साथ सीएम योगी लगातार मीटिंग करते हैं और उनसे अपडेट लेते हैं। अगर इसी तर्ज पर अन्य राज्यों ने योजना बनाई होती तो उनके यहां समस्या इतनी बड़ी न बनती। पढ़ें: राज्यों में नियुक्त किए नोडल अधिकारी महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश-तेलंगाना, कर्नाटक, पंजाब, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, गुजरात, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दिल्ली में रह रहे उत्तर प्रदेश के लोगों को सभी तरह की सुविधाएं दिलाने के लिए एक-एक नोडल अफसर तैनात किए। इन अधिकारियों के नंबर सार्वजनिक किए गए। योगी के इस कदम ने अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों को मेसेज दिया कि उनकी राज्य सरकार उन्हें किसी भी परिस्थिति में अकेला नहीं छोड़ने वाली है। सीएम योगी के इस फैसले ने भी खूब सराहना बटोरी। दिहाड़ी मजदूरों का रखा खास ख्याल कोरोना वायरस जब अपने पैर पसार रहा था, तभी 17 मार्च को ही सीएम योगी ने दिहाड़ी मजदूरों के भरण-पोषण के लिए निश्चित धनराशि मुहैया कराने के उद्देश्य से वित्तमंत्री की अध्यक्षता में समिति गठित की। सीएम ने श्रम विभाग के 20.37 लाख पंजीकृत श्रमिकों को ‘लेबर सेस फण्ड’ से प्रत्येक श्रमिक को 1000 रुपए प्रति माह डीबीटी के माध्यम से उपलब्ध कराने की व्यवस्था की। तो वहीं नगर विकास विभाग को घुमन्तु प्रकृति जैसे ठेला, खोमचा, साप्ताहिक बाजार आदि से जुड़े लगभग 15 लाख श्रमिकों का डेटाबेस सहित विवरण 15 दिन में तैयार करने के निर्देश दिए। इसके बाद ऐसे सभी श्रमिकों के खाते में प्रतिमाह 1000 रुपये ट्रांसफर किए गए। कोरोना संग भूख से भी लड़ी लड़ाई मुख्यमंत्री के निर्देश पर 18 हजार से अधिक वाहन सब्जी, दूध, दवा व खाद्यान्न घर-घर पहुंचाने के लिए लगाए गए।रैन बसेरों, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे के बाहर तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर कोई भी व्यक्ति भूखा-प्यासा न रहे, इसके लिए सीएम योगी ने निर्देश दिए कि जिला प्रशासन कम्युनिटी किचन के माध्यम से भोजन के साथ-साथ पेयजल की व्यवस्था करे। सीएम योगी के इस कदम के बाद लॉकडाउन में लोगों ने भई घरों में ही रहने का फैसला लिया और कोरोना पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकी। जमातियों के 'अपराध' पर हुए सख्त दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में आयोजित जलसे में शामिल होकर उत्तर प्रदेश पहुंचे जमातियों को ट्रेस करने के लिए सीएम योगी ने कड़े निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने पुलिस प्रशासन को इन्हें खोजने की पूरी छूट दी। यूपी पुलिस ने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में जमातियों को खोज निकाला और उनकी कोरोना जांच के साथ ही उन्हें क्वारंटीन किया। इसके अलावा इनके संपर्क में आए लोगों की भी लिस्ट खंगाली गई। इन जमातियों की जानकारी छिपाने वाले लोगों के साथ ही मरकज के जलसे में शामिल हुए लोगों पर कड़ी कार्रवाई की और क्वारंटीन पीरियड खत्म होने के बाद उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आते ही उन्हें जेल भेज दिया।
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