राजकिशोर शुक्ला, लखनऊकोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार के देश भर में लॉकडाउन करने के बाद लखनऊ के दिहाड़ी मजदूरों को भोजन तक नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि यह दिहाड़ी मजदूर तीन-चार दिन भूखे रहने के बाद अब लखनऊ से अपने-अपने जिलों के लिए पैदल ही पलायन कर रहे हैं। सीतापुर हाईवे पर लगातार तीसरे दिन गुरुवार को पलायन कर रहे इन मजदूरों की लाइन देखने को मिली। लखनऊ में करीब 25 से ज्यादा लेबर अड्डे हैं। इन लेबर अड्डों पर सीतापुर, बाराबंकी, बहराइच, गोंडा, लखीमपुर, शाहजहांपुर हरदोई, बरेली, सहित अन्य जनपदों के मजदूर आते हैं, इन मजदूरों का कहना है कि यह डेली किसी ना किसी के घर जाकर मजदूरी करते हैं, मजदूरी में जो पैसा मिलता है उस पैसे से खुद की व परिवार की भूख मिटाते हैं। इन मजदूरों में अधिकतर ऐसे लोग हैं जिनके पास खाना बनाने के ना तो बर्तन हैं और ना ही रहने के लिए चारपाई। ऐसे लोग मजदूरी से लौटने के बाद किसी ठेले या दुकान पर भरपेट भोजनकर सड़क के किनारे या डिवाइडर पर सोकर अपनी रात काटते हैं। इन लोगों के पास खाना बनाने के लिए बर्तन भी उपलब्ध नहीं होते। बीती 22 मार्च से लखनऊ में बंदी होने के कारण इन मजदूरों के पास ना तो पैसा है और ना ही खाना बनाने के लिए बर्तन ऐसे में यह लोग भुखमरी की कगार पर हैं। जान बचाने के लिए यह सभी मजदूर बीते 3 दिनों से अपने-अपने जिलों के लिए पैदल ही पलायन कर रहे हैं। सीतापुर हाईवे पर दिन-रात भर ऐसे लोगों की कतार देखने को मिलती है। इन लोगों का कहना है कि सड़क पर कोई वाहन भी नहीं चल रहा। लिहाजा कोरोना का तो पता नहीं लेकिन अगर भूख से जान बचानी है तो पैदल ही घर जाना है।
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