Monday, March 30, 2020

'सीने में बहुत दर्द हो रहा है, लेने आ सकते हो...' फिर...

'कोई बीमारी लगी है कोरोना…। सबकुछ बंद हो गया है। ना बस है, ना ट्रेन।… पैदल ही आ रहा हूं।' दिल्ली से 320 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के मुरैना के पास अपने गांव बड़फरा को पैदल निकले रणवीर सिंह ने 15 साल की बेटी को फोन पर कुछ यही कहा था। परिवार राह देखता रह गया और थके-हारे रणवीर सिंह ने आगरा के पास रास्ते में दम तोड़ दिया। आखिरी वक्त शनिवार 28 मार्च सुबह 5 बजे अपने परिवार को फोन पर उन्होंने कहा था, 'सीने में बहुत दर्द है।… लेने आ सकते हो, तो आ जाओ… और कॉल कट गई'। कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से हजारों मजदूरों की तरह रणवीर भी दिल्ली से गुरुवार शाम पैदल घर को निकले। करीब 200 किलोमीटर का सफर तय कर शनिवार को आगरा के एनएच-2 पर उन्होंने दम तोड़ दिया। उन्हें हार्ट अटैक हुआ। अंदाजा है कि बहुत ज्यादा थकान की वजह से अटैक आया। तुगलकाबाद में एक रेस्टोरेंट में काम करने वाले 38 साल के रणवीर सिंह के पीछे उनकी पत्नी ममता और 3 बच्चे छूट गए। आंसुओं में डूबी ममता सदमे में हैं। जब उनके पति लॉकडाउन की दहशत और मजबूरी से जूझ रहे थे, तो दोनों की बातचीत भी नहीं हो पाई। परिवार का कहना है कि आगरा के पास नैशनल हाइवे-2 पर जहां उनकी मौत हुई, उनका गांव वहां से करीब 120 किलोमीटर दूर था। रणवीर के घर में मां, पत्नी, 3 बच्चे, भाई और उनकी पत्नी-बच्ची हैं। छोटे भाई सोनू कहते हैं, वही तो सपोर्ट थे। 3 साल पहले दिल्ली गए थे। खाना-खजाना रेस्टोरेंट था। खाने की डिलिवरी का काम था। मैं खेतों में मजदूरी करता हूं। आजकल सब बंद है। घर के हालात बहुत खराब है। बच्चे परेशान हैं। भाई की 15 साल की बेटी है। फिर एक बेटा और फिर ढाई साल की बच्ची। पूरा परिवार टूट गया है। सोनू बताते हैं, जब भाई को दर्द हुआ तो वह अकेले थे। सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत हुई। शायद बोलते-बोलते गिर गए। हमने कहा, जहां खड़े हो वहीं रहो।… हम परमिशन लेकर गाड़ी लेकर आते हैं। मगर फिर कोई बात नहीं हो पाई। हमने अंबा पुलिस स्टेशन में जाकर पास के लिए बात की। मिला मगर देर लगी। हम पहुंचे तो पोस्टमॉटर्म के बाद ही शरीर देखा। सब खत्म हो गया! कोरोना जो रोग चल रहा है, उसकी वजह से उन्हें कोई मदद भी नहीं मिल पायी आखिरी वक्त में…। हमें उनके सामान में एक पानी की बोतल तक नहीं मिली और क्या बताएं! परिवार को अभी सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है। रणवीर के छोटे भाई बताते हैं, अभी कहीं से कोई बात नहीं हुई है। परिवार बताता है कि रणवीर ने बताया था कि लॉकडाउन हुआ तो रेस्टोरेंट मालिक ने घर जाने को कहा। उनके भाई बताते हैं, रेस्टोरेंट से ही उनका खाना था। झोपड़ पट्टी में कहीं रहते थे। रणवीर की छोटी बहन पिंकी बताती हैं, 27 मार्च की रात 9 बजे भाई ने बताया था कि खाना खाया है, मगर पैदल घर आना पड़ रहा है। बीच में एक ट्रकवाले से लिफ्ट ली थी, मगर बहुत थक गया हूं। सोना चाहता हूं। रणवीर के भाई कहते हैं, दिल्ली से उनके साथ कुछ लोग थे, मगर कुछ के रास्ते अलग हुए और कुछ आगे हो गए और वह धीरे-धीरे सबसे बिछड़ गए।


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