दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन में आप ने खुद को घरों में कैद कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। वहीं, इस लॉकडाउन की मुश्किल घड़ी में इमर्जेंसी सर्विस में लगे कर्मचारी आपकी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिनरात डटे हुए हैं। कौन हैं ये जो घर से बाहर निकलकर ड्यूटी कर रहे हैं। पूनम गौड़, राहुल आनंद और सुदामा यादव ने इनसे बात की और पता किया कि किन-किन परेशानियों का इन्हें सामना करना पड़ रहा है। रेलवे कर्मचारी आ रहे पैदल ट्रेनों का संचालन बंद है, लेकिन देश के हर कोने तक जरूरी सामान पहुंचाने के लिए जरूरी स्टाफ अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। मालगाड़ियां चल रही हैं। पालम स्टेशन पर तीन लोग तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए यह काम कर रहे हैं। इनमें स्टेशन मास्टर बी एस मीना, कमर्शल सुपरिटेंडेंट शिव कुमार और पॉइंटमैन पंकज शामिल हैं। तीनों ने बताया कि सबसे मुश्किल काम ड्यूटी पर पहुंचना है। आसपास खाने का सामान नहीं मिल रहा है। यहीं रह सकें, इसके लिए कमरा किराये पर लेने की कोशिश की लेकिन नहीं मिला। बीएस मीना 4 किलोमीटर दूर से रोज पैदल आते-जाते हैं। इस रूट पर बसें नहीं चलतीं। पहले ई रिक्शा से आते थे। शिव कुमार हरियाणा के गढ़ी हरसरू और पंज नजफगढ़ से आते हैं। शिवकुमार पहले ट्रेन से आते थे। अब वह रोज बाइक पर आ रहे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर उन्हें मुश्किलें भी होती है। सुबह 8 बजे ड्यूटी पर पहुंचने के लिए वह 5 बजे अपने घर से निकलते हैं। तीनों अपना खाना-पानी साथ लेकर आते हैं। पुलिसवालों को भी ड्यूटी पर जाने में हो रही बहुत ज्यादा दिक्कत समस्या पुलिस टीमों को भी आ रही हैं। जिन लोगों को आबादी से दूर मुख्य रोड पर लगाया गया है, उन्हें 12 घंटे की अपनी ड्यूटी में चाय तक नहीं मिल रही है। जिनकी ड्यूटी आबादी एरिया में है, उन्हें फिर भी पुलिस मित्र चाय आदि समय-समय पर देते रहते हैं। जिन रूटों पर बसें नहीं चलतीं, वहां पुलिसकर्मी अपनी बाइक पर पहुंच रहे हैं। इनमें महिला पुलिसकर्मी भी हैं, जिन्हें कुछ जगहों पर टॉइलट तक जाने की जगह नहीं मिल रही। इन परिस्थितयों में यह लोगों से पूछताछ करते हैं तो वह बहस करने लगते हैं। बिना ID बस में चढ़ने नहीं दे रहे साउथ एमसीडी एरिया के वेस्ट जोन में सफाई कर्मचारी अनूप, दिवाकर और ब्रजेश ने बताया कि आने-जाने के लिए साधन की सुविधा न के बराबर है। इसके चलते सबसे अधिक समस्या नॉर्थ और साउथ एमसीडी के सफाई कर्मचारियों को हो रही है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा इतनी कम है कि साउथ एमसीडी के 20 हजार सफाईकर्मियों में से 15 से 20 प्रतिशत ही काम पर आ पा रहे हैं, यानी महज 3 से 4 हजार। कहीं अगर डीटीसी बस मिलती भी है, तो उसमें काम पर जाने के लिए पहचान पत्र दिखाना पड़ता है। इसके बिना कोई बस में चढ़ने नहीं दे रहा है। यही हाल नॉर्थ एमसीडी एरिया में सफाई कर्मचारियों का है। दूर से आने वाली नर्सों को हो रही परेशानी, मांगी मदद हेल्थ केयर वर्कर भी इसी तरह की परेशानियां झेलते हुए काम कर रहे हैं। खासकर नर्सिंग केयर से जुड़े लोगों को काफी दिक्कत हो रही है। इस दिक्कत को लेकर जहां कई अस्पतालों ने आवाज उठाई है और प्रशासन को पत्र लिखा है, वहीं कुछ अस्पतालों में नर्सों के लिए स्टे की व्यवस्था की जा रही है। एलएनजेपी और जीबी पंत में काम करने वाले नर्सों को काफी दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि नर्सों की ड्यूटी तीन शिफ्ट में होती है। सुबह 8 से 2 बजे, 2 से शाम 8 बजे और शाम 8 बजे से सुबह 8 बजे तक। जीबी पंत के नर्सिंग यूनियन के लीलाधर रामचंदानी ने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कत 8 बजे होती है, जब उनकी डयूटी खत्म होती है। जीबी पंत, एनएनजेपी आदि अस्पतालों में इंदिरापुरम, वंसुधरा, गुड़गांव, पालम, नजफगढ़, आदि से नर्सें आती हैं। महिला नर्स को ट्रांसपोर्ट के साथ अपनी सुरक्षा का भी डर है। वहीं दवा दुकानों में काम करने वाले को भी शॉप तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। फार्मेसिस्ट राहुल ने बताया कि वह काम पर आ रहे थे तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया था। जब बताया कि फार्मेसी का काम करता हूं तो डंडे भी मारे। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के महासचिव संदीप नागिया ने बता कि पुलिस बिल्कुल मदद नहीं कर रही है। पूरी दिल्ली में दवा की स्पलाई रोक दी गई है। किसी भी दवा दुकान में 4 से 5 दिन की दवा होती है, अगर उसे ही रोक दिया जाएगा तो दिक्कत होगी। उन्होंने कहा कि दो डिलिवरी बॉय को पीटा गया। एक की गाड़ी पंचर कर दी गई। ऐसा रहा तो दवा की सप्लाई की चेन टूट जाएगी
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