Sunday, September 1, 2019

जन्मदिन विशेष : दुष्यंत कुमार की बराबरी आज तक नहीं कर पाया कोई कवि

दुष्यंत कुमार एक मशाल की तरह चमके। उनके भीतर असहमति की जो चिंगारी थी उसे वह हर हृदय के भीतर दहका कर शोषित व सर्वहारा वर्ग के शिव की रूपरेखा रचना चाहते थे।

from Jagran Hindi News - news:national https://ift.tt/2Ldzfa3

No comments:

Post a Comment