सुजीत महामुलकर, मुंबई महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इससे पहले 50-50 फॉर्म्युले की काफी चर्चा हो चुकी है लेकिन माना जा रहा है कि यह सीट बंटवारे का व्यावहारिक फॉर्म्युला नहीं होगा। 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों पार्टियों ने सीटों पर सहमति न होने के बाद अलग-अलग चुनाव लड़ा था। बीजेपी की तरफ से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वह राज्य की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 135 से ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है। कुछ क्षेत्रीय पार्टियों को शामिल करते हुए बड़ा गठबंधन बनाने के लिए बीजेपी और शिवसेना दोनों को 135-135 सीटों पर सहमत होना पड़ेगा, जिससे बाकी 18 सीटें छोटे सहयोगियों के बीच बांटी जा सके। लेकिन पिछले कुछ समय बीजेपी में शामिल हो रहे सिटिंग एमएलए और टिकट के दावेदारों की बढ़ती संख्या से बीजेपी के लिए 135 सीटों के कोटे पर टिके रहना मुश्किल हो रहा है। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सभी दावेदारों को संतुष्ट करने के लिए बीजेपी को कम से कम 150 सीटों की जरूरत है। पढ़ें: 135 के फॉर्म्युले में फिट हो पाएगी बीजेपी? महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी के पास 122 विधायक हैं और साथ ही उसे 6 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है। कांग्रेस और एनसीपी से 4 विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा है। इस तरह कुल मिलाकर बीजेपी के साथ 132 वर्तमान विधायक हैं। विधानसभा में बीजेपी की वर्तमान ताकत को देखते हुए उसे 135 सीटों के फॉर्म्युले में विधायकों और दावेदारों को समायोजित करने में दिक्कत नहीं आनी चाहिए। पढ़ें: महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने जून में कहा था कि बीजेपी और शिवसेना दोनों 135-135 सीटों पर लड़ेंगे, जबकि बची हुई 18 सीटें अन्य सहयोगियों के खाते में जाएंगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों लोग कह चुके हैं कि बीजेपी-शिवसेना साथ-साथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। बता दें कि विधानसभा में शिवसेना के पास 63 सीटें हैं। पढ़ें: 2014 विधानसभा चुनाव का आंकड़ा दो दशक से ज्यादा वक्त के बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन टूट गया था। बीजेपी ने 260 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ते हुए 27.81 प्रतिशत वोट (122 सीटें) हासिल किए थे। वहीं, शिवसेना ने 282 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 19.35 प्रतिशत वोट (63 सीटें) मिले। इसके साथ ही कांग्रेस और एनसीपी ने भी अलग-अलग चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने 287 सीटों पर चुनाव लड़ा और 17.95 प्रतिशत वोटों के साथ 42 सीटें जीतीं। एनसीपी ने 278 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 17.24 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 41 सीटों पर कब्जा जमाया था।
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