लखनऊ नागरिकता संशोधन कानून () के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार सख्त है। प्रदेश में पहले भी कई बार हुए हैं। उन प्रदर्शनों में भी सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि उपद्रवियों की संपत्ति जब्त करने की कार्यवाही की जा रही है। प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टु पब्लिक प्रॉपर्टी ऐक्ट, 1984 के तहत प्रावधान है कि संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से ही इसकी भरपाई करवाई जाए। इतना ही नहीं समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। हालांकि, वर्तमान योगी सरकार या पहले की सरकारों ने संपत्ति जब्त करने की कार्यवाही कभी नहीं की। जाट आंदोलन और किसान आंदोलन में भी संपत्ति को हुआ नुकसान इससे पहले किसानों ने मुआवजे के लिए और जाटों ने नौकरियों में आरक्षण के लिए प्रदर्शन किया था। इन प्रदर्शनों के दौरान जमकर हिंसा हुई और सरकारी/निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। 2017 में के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी तीन ऐसे मामले सामने आए, जिसमें बड़े पैमाने पर संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया लेकिन जब्ती प्रक्रिया किसी भी मामले में नहीं हुई। अप्रैल-मई 2017 में सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुए टकराव ने हिंसक रूप ले लिया। हिंसा में एसएसपी ऑफिस को ध्वस्त कर दिया गया। पुलिस चौकी और पुलिस वैन को जला दिया गया। इसके अलावा एक बस समेत कुल 20 गाड़ियां जला दी गईं। लगभग एक साल 2अप्रैल को बाद बहुजन समाज पार्टी समर्थित 'भारत बंद' के दौरान पूरे प्रदेश के कई जिले प्रभावित हुए। मेरठ में प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस चौकी को जला दिया। राज्य सरकार की आधा दर्जन बसें, तीन दर्जन मोटरसाइकलें और कई पुलिस वैन फूंक दी गईं। बुलंदशहर हिंसा के बाद भी नहीं भेजे गए नोटिस इसी तरह 3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर में एक पुलिस इन्स्पेक्टर की हत्या कर दी गई और पुलिस व जीप आग के हवाले कर दी गई। पुलिस ने हत्या के मामले में 27 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया और कुछ लोगों के खिलाफ संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला भी दर्ज हुआ। सभी आरोपी गिरफ्तार किए गए और उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है लेकिन किसी की भी संपत्ति जब्त करने का मामला सामने नहीं आया है। पढ़ें: इस बारे में बिजनौर के जिलाधिकारी रमाकांत पांडे ने कहा, 'जहां तक मुझे याद है कि ऐसे रिकवरी नोटिस पहले नहीं भेजे गए हैं। ऐसा इसलिए भी है कि पहले लोग अपने नुकसान के बारे में दावा करने भी नहीं आए। अब जब लोग नुकसान की शिकायत दर्ज करवा रहे हैं तो हमें रिकवरी करनी ही होगी। नोटिस सिर्फ उन्हीं मामलों में भेजे जा रहे हैं, जिसमें कोई अपनी संपत्ति के नुकसान का दावा कर रहा है। सरकार खुद-ब-खुद कोई नोटिस नहीं भेज रही है।'
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