देश में अभी माइक्रो फाइनेंस एवं स्व-सहायता समूहों द्वारा लिए जाने वाले कर्ज की अदायगी का आंकड़ा करीब सौ फीसद है तो फिर बड़े-बड़े उद्योगों द्वारा लिए जाने वाले कर्ज इस कदर असुरक्षित क्यों हैं? बैंकों का बढ़ता एनपीए देश की बैंकिंग व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है।
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