विदेश में शरण लेने वाले सैनिकों और कैडेट के अलावा कई ऐसे भी हैं जो भारत में ही रहना चाहते हैं और इसके लिए संबंधित एजेंसियों के संपर्क में हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद इन सैनिकों का भविष्य अधर में लटक गया है।
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