असम में गीरू सिंह जैसे लाखों युवा-किशोर हैं जिन्होंने अपने दादा या पिता का पैतृक गांव नहीं देखा है। गीरू सिंह कहते हैं कि तीसरी-चौथी पीढ़ी असम की संस्कृति को आत्मसात कर चुकी है। असमिया व गैर असमिया का भेद केवल बांग्लादेशी घुसपैठियों के मामले में है।
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