Tuesday, March 30, 2021

फिर घने होने लगे सतपुड़ा के ‘ऊंघते अनमने जंगल’, वृक्ष बन रहे 4 हजार पौधे

‘सतपुड़ा के घने जंगल..’ की रचना राष्ट्रकवि भवानी प्रसाद मिश्र ने इसी सोनाघाटी पर की थी। पांच साल से विद्या भारती सहित कई संगठन फिर इस जंगल को हरा-भरा करने में जुटे हैं। रोपे गए चार हजार पौधे अब वृक्ष बन रहे हैं।

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