किसान संगठनों को भी अहसास होने लगा है कि वह लाख दलीलें दे रहे हों लेकिन भरोसा खो बैठे हैं। दरअसल अब वह जिन उपद्रवियों को बाहरी बता रहे हैं पिछले दो महीने से वही तत्व आंदोलन स्थल पर मुखर और हावी रहे हैं।
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