गांधीजी एक महान ऋषि की भांति हमेशा सच्चाई अहिंसा ईमानदारी और बंधुता के रास्ते पर चले। उन्होंने अपना सब कुछ यहां तक अपने प्रिय से प्रियजनों का परित्याग कर दिया लेकिन सत्य अहिंसा का साथ कभी नहीं छोड़ा।
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