लखनऊकोविड-19 के दौरान काम की स्थिति और आर्थिक हालात को देखते हुए अब प्रदेश सरकार कम संसाधन में ज्यादा काम की तैयारी में है। कर्मचारियों की दक्षता में इजाफा कर उनका बेहतर उपयोग करने के अलावा सरकार की मंशा एक जैसी योजनाओं के मर्ज कर अनुपयोगी योजनाओं को खत्म करने की भी है। इसके लिए सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों से कर्मचारियों और योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी और सुझाव मांगे गए हैं। नियोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव कुमार कमलेश ने दस दिन में सभी अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने 18 मई को रेरा अध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। कमिटी को विभागों में स्वीकृत जनशक्ति, कर्मचारियों के रेशनलाइजेशन, उनके प्रभाव, कर्मचारियों की दक्षता में सुधार, उनकी उपयोगिता का आकलन, डिजिटल गवर्नेंस आदि के बारे में सुझाव देने हैं। इस समिति का सदस्य सचिव कुमार कमलेश को बनाया गया है। समिति की 26 मई को हुई बैठक में विभागों से कई जानकारियां और सुझाव देने को कहा गया है। जानकारियां और सुझाव मिलने के बाद कमिटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट सरकारी मशीनरी के अधिकारियों की ताकत में इजाफा भी किया जा सकता है, ताकि फैसले जल्द हो सकें और दिक्कतों से वे अपने स्तर पर ही निपट सकें। इन पर रहेगा फोकस समिति में शामिल एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अपनी चीजों को बेहतर करने के लिए अन्य राज्यों की गुड प्रैक्टिस और उसके कारणों का अध्ययन करना जरूरी है। यह जानना जरूरी है कि आखिर किसी ने किसी क्षेत्र में बेहतर काम किया है तो क्यों। यह भी समझना होगा कि हम जिस सुविधा के लिए जो पैसा खर्च कर रहे हैं, क्या वह ज्यादा तो नहीं है और हम जरूरत से अधिक मैनपावर तो नहीं इस्तेमाल कर रहे। इसके अलावा यह तरीका भी खोजना होगा कि कम से कम मैनपावर का इस्तेमाल कर कैसे योजना का अधिक से अधिक लाभ दिया जा सकता है। योजनाओं की निगरानी के लिए कौन सा तरीका अपनाया जाए, ताकि परिणाम और बेहतर हों। तकनीक के इस्तेमाल पर जोर सूत्र बताते हैं कि लॉकडाउन में सीमित कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ काम करते हुए यह महसूस किया गया कि तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाना बेहतर होगा। ऐसे में समिति इसपर भी विचार करेगी कि किन तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ाया जाना चाहिए। हालांकि, एक अधिकारी ने कहा कि सरकारी कामकाज में गोपनीयता बड़ा विषय है। इसे जोड़ते हुए तकनीक के इस्तेमाल का रास्ता निकालना होगा। यही वजह है कि विभागाध्यक्षों से समिति ने ई-ऑफिस, डिजिटाइजेशन और इसके लिए कर्मचारियों के प्रशिक्षण आदि के बारे में जानना चाहा है। अनुदानों पर चल सकती है कैंची सूत्रों का दावा है कि आने वाले समय में सरकार अनुदानों पर कैंची भी चला सकती है। समिति को इस बारे में भी विचार करना है कि किन संस्थाओं को सरकार की तरफ से वित्तीय मदद दी जाती है और मदद जारी रखनी चाहिए या नहीं। इन अनुदानों की श्रेणी में स्कूल, महाविद्यालयों और अन्य शैक्षिक संस्थाओं को दी जाने वाली वित्तीय मदद भी शामिल होगी। समिति ने ये जानकारियां मांगीं स्वीकृत पदों के सापेक्ष काम कर रहे कर्मचारियों की दक्षता और इससे उनके काम पर पड़ रहा प्रभाव एक जैसी योजनाओं की जानकारी देने के साथ उन्हें मर्ज करना पत्रावलियों के परीक्षण की मौजूदा स्थिति में सुधार की कितनी गुंजाइश है अंतिम निर्णय के पहले क्या फाइल का मूवमेंट कम किया जा सकता है कौन से ऐसे मामले हो सकते हैं, जहां निचले स्तर पर ही निर्णय हो सकता है
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