लखनऊ लखनऊ हाई कोर्ट के एक जज का नाम लेकर दारोगा और एसीपी को फोन कर धोखाधड़ी के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने का दवाब बना रहे दो लोगों को विभूतिखंड पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपितों ने एक धोखाधड़ी के मामले के आरोपित है। पुलिस ने आरोपियों के पास से एक मोबाइल फोन बरामद किया है। इंस्पेक्टर विभूतिखंड श्याम बाबू शुक्ला ने बताया कि 20 दिसंबर 2019 को पीजीआई के रहने वाले सेना से सेवानिवृत्त उमेश कुमार सिंह ने विभवखंड निवासी समरेंद्र महतम राय, उसकी पत्नी पूनम महेंद्र राय और चंद्र प्रकाश राय के खिलाफ जमीन दिलवाने के नाम पर 11 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। मामले की विवेचना विभूतिखंड थाने में तैनात दारोगा राजमनी त्रिपाठी कर रहे थे। इंस्पेक्टर विभूतिखंड ने बताया कि विवेचक को किसी ने हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के एक जज का नाम से फोन किया और समरेंद्र के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने की बात कही। दारोगा ने बात नजरंदाज कर दी। इसके बाद कई बार दारोगा के पास उसी व्यक्ति ने फोन किया और न्यायाधीश होने का रौब दिखाते हुए एफआईआर में फाइनल रिपोर्ट लगाने की बात कही। एसीपी विभूतिखंड को भी फोन कर अर्दब में लिया इंस्पेक्टर विभूतिखंड श्याम बाबू शुक्ला ने बताया कि दारोगा को फोन करने बाद भी जब मामले में फाइनल रिपोर्ट नहीं लगी तो आरोपित ने एसीपी विभूतिखंड स्वतंत्र सिंह को फोन किया और उनसे भी वही बात कही। उसने एसीपी को कई बार फोन किया जिससे उन्हें शक हुआ। उन्होंने विभूतिखंड इंस्पेक्टर को जांच करने के लिए कहा। विभूतिखंड पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि न तो वह न्यायाधीश है और न ही उनसे संबंधित कोई व्यक्ति है। पुलिस ने सर्विलांस की मदद से मंगलवार को चिनहट तिराहे से चिनहट निवासी तौसीफ हक और धोखाधड़ी के मामले में आरोपित विभवखंड निवासी समरेंद्र महतम राय को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपित तौसीफ के पास से मोबाइल फोन भी बरामद किया। इंस्पेक्टर विभूतिखंड ने बताया कि आरोपित तौसीफ न्यायाधीश का नाम लेकर पुलिसवालों और अन्य अधिकारियों को काम के नाम पर फोन कर दबाव बनाता था। आरोपित तौसीफ लोगों से इस तरह से काम करवाने के नाम पर रुपये भी ऐंठता था।
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